आपने कभी यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम द्वारा निर्धारित किए गए, 17 ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स‘ को पढ़ा या इनमें से किसी एक को भी पूरा करने के लिए, निजी स्तर पर कोई पहल की है? अगर नहीं तो पढ़िए, अपने घर में ‘ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम’ लगवाने वाले गुजरात के एक ओरल सर्जन, डॉ. दिलीपसिंह सोढ़ा की यह कहानी, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से इन लक्ष्यों को हासिल करने में अपना योगदान दे रहे हैं।
आपको बता दे कि साल 2015 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दिलीप सिंह ने UPSC की परीक्षा देने का फ़ैसला किया। उन्होंने इस परीक्षा के लिए एक-दो साल जमकर मेहनत भी की। लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ।
ऐसे में मंज़िल भले ही नहीं मिली हो, पर उस दौरान उन्होंने जो कुछ सीखा वह उनके लिए बेहद मददगार साबित हुआ। इस दौरान ही समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का भी आभास हुआ।
वहीं डॉ. दिलीपसिंह का कहना है, “यह सच है कि हम एक दिन में सब कुछ सही नहीं कर सकते हैं। लेकिन, इस वजह से अगर हम कोई पहल भी न करें तो यह गलत होगा।
मैंने एक बहुत छोटी सी शुरुआत की है लेकिन, मुझे पता है कि अगर मैं लंबे समय तक ऐसा करता रहूँगा तो यकीनन यह हमारे पर्यावरण के हित में होगा।” पर्यावरण के प्रति उन्होंने अपना फ़र्ज़ अदा करने के लिए सबसे पहले अपने घर पर सोलर पैनल लगवा लिए।
वह बताते हैं कि सर्दियों में उनका बिजली का बिल कम और गर्मियों में हमेशा ज़्यादा आया करता था। दो महीने में करीब 1000 यूनिट बिजली की खपत होती थी। ऐसे में उन्होंने बिजली ग्रिड पर से निर्भरता कम करने के लिए घर की छत पर 5 किलोवाट का सोलर पैनल लगवा लिया।
वह कहते हैं,
हमारे घर में तीन एसी, पाँच-छह पंखें, लाइट्स, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और किचन के अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं। सौर पैनल लगवाने से पहले, गर्मियों में हमारे घर का बिजली बिल, दस हजार रुपए से ज्यादा भी आया था। लेकिन, अब हमारा बिजली बिल लगभग जीरो हो गया है।