पहले दिल्ली के आसपास के जिले चाहते थे कि उनको NCR में शामिल कर लिया जाए। और अब जब शामिल हो चुके हैं तो वे एनसीआर से बाहर होना चाहते हैं, लेकिन क्यों? क्योंकि नेशनल कैपिटल रीजन (National Capital Region) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने के लिए जनप्रतिनिधि बातें करते थे। अगर एक बार एनसीआर में आ गए तो राजधानी क्षेत्र मानकर वहां पर ज्यादा बजट मिलता, इससे शहर का विकास तेजी से होगा। लेकिन पानीपत में दूसरी ही बातें हो रही हैं। यहां तक की विधानसभा में यह आवाज उठ रही है कि पानीपत को एनसीआर से बाहर कर दो।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Haryana Chief Minister Manohar Lal) भी इन तर्कों से सहमत हैं। पहले ही वह करनाल (Karnal) को एनसीआर (NCR) में शामिल नहीं करने की बात कर चुके हैं।
सर्दी का मौसम आते ही पर्यावरण प्रदूषण की बातें शुरू हो जाती हैं। दिल्ली की हवाई में प्रदूषण होता है। और कारण निकालते हैं तो कहा जाता है कि पास में पानीपत में है। एनसीआर में आने वाले जिलों में इंडस्ट्री बंद करा दें तो प्रदूषण कम हो जाएगा, जैसे आदेश आ जाते हैं। जिसके बाद पानीपत की इंडस्ट्री दो से तीन महीने के लिए बंद करा दी जाती है। कारोबार पूरी तरह से ठप्प हो जाता है।
सप्ताह में दो दिन बंद रहेगी इंडस्ट्री
कारोबार शुरू होता है तो ये कहा जाता है कि सप्ताह में दो दिन इंडस्ट्री बंद रहेगी। दो दिन काम नहीं होने पर पूरा कारोबार चल नहीं पाता। उद्यमी कह चुके हैं, इस तरह से काम चलाना मुश्किल है। उत्पादन नहीं होगा तो खर्चा कैसे निकलेगा।
NCR में कोयला बैन
इंडस्ट्री को कहा जा रहा है कि एनसीआर में आने वलो उद्योग अब कोयला नहीं जलाएंगे। इसकी जगह पाइप्ड नेचुरल गैस से इंडस्ट्री चलाएं। इससे पहले पेट कोक पर प्रतिबंध लगाया गया था।
अगर इंडस्ट्री गैस पर जाती है तो खर्चा तीन गुना बढ़ जाएगा। पानीपत के बाहर की इंडस्ट्री पर यह आदेश लागू नहीं है। इस तरह से दूसरे प्रदेश के कारोबारी आगे निकल जाएंगे। पानीपत से लाखों रोजगार प्रभावित होंगे।
विकास के प्रोजेक्ट पर क्या पड़ेगा असर
मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले ही कह चुके हैं कि इससे विकास के प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हरियाणा सरकार जमीन दे रही है। रेल का प्रोजेक्ट चल रहा है, करनाल तक मेट्रो ट्रेन आएगी। अगर एनसीआर से बाहर होते भी हैं तो विकास कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। इससे उद्यमियों को राहत जरूर मिलेगी।