फरीदाबाद: पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा के दिशा निर्देश के तहत कार्य करते हुए साइबर थाना पुलिस प्रबन्धक बसंत की टीम ने शाही एक्सपोर्ट कंपनी के साथ हुई लाइसेंस कूपन 27.61 करोड़ की धोखाधड़ी में 10 आरोपियो को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है।पुलिस उपायुक्त नीतीश अग्रवाल ने प्रैसवार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि सेक्टर 28 शाही एक्सपोर्ट कंपनी के साथ साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए साइबर थाना की टीम ने धोखाधडी के मामले में दिल्ली के नांगल में रहने वाले मनोज, गीतांजली पार्क सागरपुर में रहने वाले मनीष को 10 दिसम्बर, प्रवीण कुमार और मनीष कुमार को 16 दिसम्बर दिल्ली के सागरपुर से गिरफ्तार किया है तथा कर्नाटक के रायचूर जिले के गांव इरगेरा में रहने वाले आरोपी गणेश परशुराम को रायचूर से 23 दिसम्बर, मुंबई साहिन जोगलेकरवाडी के रहने वाले आरोपी भूषण किशन, महाराष्ट के रायगढ के रहने वाले आरोपी राहुल रघुनाथ को 29 दिसम्बर को सागरपुर से गिरफ्तार किया है।
आरोपी संतोष सीताराम जो स्थाई रुप से महाराष्ट के पूणे जिले के गांव मुकाम पोस्ट तथा अस्थाई रुप से मुंबई के गांव बदलापुर में रहने वाले को माटुंगा मुम्बई, तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाले सुरेश कुमार को चेन्नई से 29 दिसम्बर गिरफ्तार किया है तथा आरोपी नई दिल्ली के न्यू राजेन्द्र नगर के रहने वाले ललित को राजौरी गार्डन दिल्ली से 23 दिसम्बर गिरफ्तार किया है।
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आरोपी मनोज लइसेंसो के ट्रासफर की प्रकिया का काम करता था। आरोपी शाही कम्पनी की फर्जी डीएससी बनवाकर कम्पनी के पैसे ट्रासफर करता था। जिसकी आईडी से शाही कम्पनी के 27.61 करोड रुपए का लाइसेंस ट्रांसफर करना पाया गया है। आरोपी प्रवीण कुमार वारदात में प्रयोग दस्तावेजों/ संसाधनों को उपलब्ध कराने का काम करता था।
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आरोपी मनीष कुमार शाही कम्पनी की फर्जी डीएससी में फोटो बदलने का काम किया था। आरोपी गणेश परशुराम ने अपने नाम पर फर्जी कम्पनी Black curve incorporation बनाकर शाही एक्सपोर्ट कंपनी से ठगी की है। भूषण किशन ने फर्जी कम्पनी Black curve incorporation बनाकर मासूक अली को उपलब्ध करवाई थी। मासूक अली की मृत्यु हो चुकी है।
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राहुल रघुनाथ फर्जी कम्पनी ब्लैक कर्व इनकॉरपोरेशन (Black curve incorporation) बनाकर भूषण किशन को उपलब्ध करवाई थी। सेन्तोष सीताराम प्राटेक्शन मनी लेना का काम करता था। आरोपी सुरेश कुमार ने फर्जी कम्पनी ब्लैक कर्व इनकॉरपोरेशन बनाकर शाही कम्पनी से लाइसेंस ट्रांसफर करने का काम किया है। आरोपी ललित फर्जी कम्पनी ब्लैक कर्व इनकॉरपोरेशन के सीए है।
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भारत सरकार द्वारा इंपोर्ट एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव स्कीम चलाई जाती है जिसमें भारत सरकार इंपोर्ट एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को एक विशेष प्रकार का DSC लाइसेंस प्रदान करती है जिसके माध्यम से कंपनी को कुछ डिस्काउंट कूपन प्राप्त होते हैं। यह कूपन ठीक उसी प्रकार होते हैं जैसे पहले मोबाइल रिचार्ज कूपन हुआ करते थे। जिस प्रकार रिचार्ज कूपन की एक वैल्यू होती थी उसी प्रकार इन डिस्काउंट कूपन की लाखों रुपए की वैल्यू होती है जिनका उपयोग करके कंपनी द्वारा कोई सामान इंपोर्ट करने पर कंपनी को इंपोर्ट ड्यूटी में छूट मिल जाती थी।
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साइबार थाना की टीम ने आरोपियो के सम्बन्ध में जांच की जिसमें पाया गया की आरोपियोने बड़ी-बड़ी कंपनियों के इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड प्राप्त करके उनका रिकॉर्ड चेक करते थे और कंपनी के खाते में कुल कितनी रकम के डिस्काउंट कूपन उपलब्ध है।
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इसके बाद उस कंपनी के डायरेक्टर के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करके उन्हीं फर्जी दस्तावेज से फर्जी व्यक्ति का वीडियो शूट करवाकर फर्जी DSC लाइसेंस तैयार करवाते थे। इस फर्जी डीएससी का प्रयोग उपयोग करके असली कंपनी की जानकारी के बिना उसके विदेश व्यापार के बदले प्राप्त छूट लाइसेंसों को धोखाधड़ी से अपनी फर्जी कंपनी के नाम ऑनलाइन ट्रांसफर कर लेते थे।
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गिरोह में शामिल आरोपी भूषण और राहुल किसी भी व्यक्ति के नाम पर एक फर्जी कंपनी रजिस्टर करवा देते थे। इन्होंने अपने साथी आरोपी गणेश जोकि पेशे से एक ऑटो ड्राइवर है उसके नाम पर ब्लैक कर्व इनकॉरपोरेशन के नाम पर एक फर्जी कंपनी खुलवा कर आरोपी मनीष मोगा ने हरीश आहूजा बनकर एक वीडियो शूट करवाई जिसमें उसने अपने आप को शाही कंपनी का डायरेक्टर बताया।
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इसी वीडियो के आधार पर फिर हरीश आहूजा की एक फर्जी DSC आईडी बन गई। फर्जी डीएससी बनने के पश्चात इसमें उपलब्ध शाही कंपनी के 154 डिस्काउंट कूपन को ब्लैक कर्व कॉरपोरेशन के नाम ट्रांसफर कर दिया गया जिनकी टोटल वैल्यू 27.61 करोड़ रुपए थी। कंपनी को जब इस धोखाधड़ी के बारे में पता लगा तो उन्होंने पुलिस को इसकी शिकायत दी। जिसके आधार पर दिनांक 26 जुलाई को पुलिस थाना सेक्टर 31 में धोखाधड़ी तथा आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई थी।
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पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि दौराने तफ्तीश पाया गया की मनोज, मनीष कुमार, प्रवीण कुमार, मनीष कुमार, गणेश परशुराम, भूषण किशन, राहुल रघुनाथ, संतोष सीताराम, सुरेश कुमार और ललीत की शाही एक्सपोर्ट कंपनी के साथ हुई 27.61 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी के मामले में संलिप्ता पाई गई है। जिसमें सामने आया है कि आरोपी सुरेश तथा ललित फर्जी तरीके से प्राप्त इन लाइसेंस कूपनों को आगे दूसरी कंपनियों को बेच कर पैसे कमाते थे।
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इस प्रकार से आरोपियों ने पूरे देश में स्थित कई कंपनियों के साथ इसी प्रकार की अन्य वारदातों को अंजाम दिया है जिनके बारे में संबंधित थानों को सूचित किया जा रहा है। आरोपियो से पूछताछ पूरी होने के बाद आरोपियो को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है।