देश के प्रतिबंधित तत्वों में से एक अफीम भी है और अगर किसी भी शख्स के पास से यह मिलता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होती है। इसकी खेती की बात करें तो भारत में बिना सरकार की अनुमति के इसे कोई भी व्यक्ति नहीं उगा सकता। क्योंकि यह देश की प्रतिबंधित तत्वों में शामिल है। लेकिन जहां भी लोग इसकी खेती करते हैं वे मोटा पैसा कमाते हैं। बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा अफीम राजस्थान में बोई जाती है। हजारों हेक्टेयर में वहां के किसान इसकी खेती करते हैं। वैसे तो हरियाणा में इसकी खेती नहीं होती लेकिन राज्य के पानीपत जिले के समालखा खंड में पड़ने वाले गांव भापरा में एक किसान ने चोरी-छिपे इसकी खेती की। पहली बार में ही वह पकड़ा गया। जैसे ही पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने टीम गठित करके खेतों में जांच के लिए गए जिसके बाद उस किसान को खेत से ही गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ एनडीसी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस का कहना है कि जिले में अफीम की खेती करने का यह पहला मामला है। थाना समालखा के सिपाहियों ने बताया कि, ईएएसआई धर्मबीर सिंह, ईएचसी जोगिंद्र सिंह, ईएचसी देवेंद्र कुमार ने भापरा जाकर छापेमारी की।
अफीम की खेती को लेकर वहां लोगों में खूब चर्चा हो रही थी। लेकिन जब तक पुलिस पहुंची तब तक ज्यादातर पौधों के ऊपर फूल व डोडे भी आ चुके थे। इसकी कार्यवाही के लिए नगरपालिका समालखा के सचिव मनीष कुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था।
बताया जा रहा है कि, किसान ने अफीम के पौधे अपने ट्यूबवेल वाले कोठे की उत्तर दिशा में गेहूं के खेत के पास बरसीम के साथ बनी क्यारी में लगा रखे थे। यानी वह अन्य फसलों के बीच थे।
कोर्ट के पीछे लगाए थे पौधे
इसके बाद पुलिस की टीम ने अफीम के पौधों को गिना तो उनकी संख्या 100 पाई गई। जिसके बाद उनको जड़ से उखाड़कर प्लास्टिक के कट्टे में भरकर वजन तुलवाया गया तो उनका वजन करीब 15 किलो बैठा। यह खेती करने वाले किसान की पहचान भापरा निवासी किसान दयानंद पुत्र मामचंद शर्मा के तौर पर हुई। पुलिस ने बताया कि उसने कोर्ट समालखा के पीछे अपने खेत में अफीम के पौधे लगाए हुए थे।
पौधों पर आ चुके हैं फूल-डोडे
पुलिस ने बताया कि भापरा निवासी किसान दयानंद पुत्र मामचंद शर्मा के खेत में जब जांच टीम पहुंची तो उन्हें देखकर दयानंद ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। इसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ एनडीसी एक्ट (NDC Act) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। कार्यवाही के दौरान वहां लोगों की भीड़ जुट गई। पानीपत क्षेत्र में अफीम की खेती का यह पहला मामला पकड़ा गया था।
जिले में बना चर्चा का विषय
जैसे ही यह खबर सामने आई तो आसपास के इलाके में तेजी से फैल गई। एक बुजुर्ग ने कहा कि उनके यहां इस तरह की खेती की इजाजत नहीं है और इस जिले में भी अफीम की खेती करने का यह पहला मामला सामने आया है। भापरा के खेत में कार्यवाही के लिए पुलिस की ओर से बाकायदा एक टीम बनाई गई थी और उन्होंने वहां जांच की। इसके बाद उन्हें वहां अफीम के पौधे मिले। जिसके बाद उस किसान को भी पकड़ लिया गया।
एनडीसी एक्ट के तहत दर्ज हुआ मुकदमा
बता दें कि पुलिस ने इस मामले में किसान को अवैध-खेती का आरोपी बताते हुए उस किसान के खिलाफ एनडीसी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। थाना समालखा में दर्ज पुलिस केस के अनुसार भापरा निवासी किसान दयानंद पुत्र मामचंद शर्मा ने कोर्ट समालखा के पीछे अपने खेत में अफीम के पौधे लगाए हैं।
राजस्थान में होती है वैध खेती
बता दें कि पूरे भारत में केवल राजस्थान में अफीम की खेती वैध तरीके से होती है। वहां के किसान हजारों हैक्टेयर जमीन में अफीम बोते हैं। देश में सबसे ज्यादा अफीम की खेती भी वहीं होती है। अफीम की फसल जब होती है तो उस पर 2 तरह के फूल आते हैं एक सफेद और दूसरे गुलाबी। कहीं-कहीं अफीम को काला सोना भी कहा जाता है, क्योंकि यह बहुत महंगी बिकती है।
पशु-पक्षी भी झूम उठते हैं
ये ऐसी फसल होती है जिसे पक्षी और पशु खाकर भी नशे में तन्न हो जाते हैं। जैसे कि, नीलगाय चली आती हैं। तो किसानों को दिन-रात फसल के पास पहरा देना पड़ता है। कई बार किसानों को किराए पर चौकीदार रखने पड़ते हैं तो कई किसान काफी पैसा खर्च कर फसल के चारों ओर तार की फेंसिंग कर उसमें करंट प्रवाहित कर देते हैं, ताकि नीलगाय दूर रहें।