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3 महीनों के कैंसिल हुआ Metro Hospital की इस इकाई का लाइसेंस, जांच में पाई गई यह चीजें

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हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि विभिन्न अनिमितताओं व उल्लंघनों को देखते हुए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फरीदाबाद के सेक्टर 16 ए, ओल्ड विंग के बेसमेंट फ्लोर में स्थित मैसर्स मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट विद मल्टीस्पेशलिटी ब्लड सेंटर (A Unit of Metro Specialty Hospitals Pvt Ltd) का लाइसेंस संख्या 681-बी(एच) को 16 मार्च से 15 जून, 2022 तक 3 माह की अवधि के लिए निलंबित किया है। निलंबन अवधि के दौरान संपूर्ण मानव रक्त और उसके घटकों के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के लिए एफेरेसिस प्रक्रियाओं सहित बिक्री या वितरण के लिए यह ब्लड सेंटर संचालित नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा यह सेंटर वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी, फरीदाबाद की देखरेख में रक्त के वितरण की निगरानी और भंडारण की सुविधा वाले अन्य लाइसेंस प्राप्त रक्त केंद्र में निर्धारित भंडारण की स्थिति के तहत पूरे मानव रक्त और रक्त घटकों को स्थानांतरित कर सकता हैं।  

उन्होंने बताया कि फरीदाबाद के सेक्टर 16 ए, ओल्ड विंग के बेसमेंट फ्लोर में स्थित मैसर्स मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट विद मल्टीस्पेशलिटी ब्लड सेंटर (मेट्रो स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड की एक इकाई) के बारे में उन्हें एक व्यक्ति तरुण चोपड़ा द्वारा शिकायत की गई थी, जिसके तहत इस शिकायत पर कार्यवाही करने के लिए उन्होंने स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर मनमोहन तनेजा को निर्देश दिये।

इसके पश्चात स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर मनमोहन तनेजा ने डिप्टी ड्रगस कंट्रोलर (इंडिया), सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन (नार्थ जोन) गाज़ियाबाद को अपना एक अधिकारी जॉइंट निरीक्षण हेतु तैनात करने का आग्रह किया।

ब्लड सेंटर में मिली अनेक कमियां

डिप्टी ड्रग कंट्रोलर (इंडिया), सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन (नार्थ जोन) गाज़ियाबाद की टीम ने 21 दिसम्बर, 2021 को जॉइंट निरीक्षण ब्लड सेंटर का किया जिसमें तत्कालीन सीनियर ड्रग्स कंट्रोल ऑफिसर फरीदाबाद राकेश दहिया और ड्रग इंस्पेक्टर, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नॉर्थ जोन) गाजियाबाद के सुरेश कलवानिया थे। संयुक्त निरीक्षण के दौरान इस टीम ने ब्लड सेंटर में विभिन्न कमियां और अनिमितताओं को पाया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि निरीक्षण के दौरान उपलब्ध दस्तवेजो के अनुसार, रक्तदान और प्लेटलेट एफेरेसिस सहित रक्त केंद्र का संचालन चिकित्सा अधिकारी के पर्यवेक्षण के बिना किया गया पाया गया है। निरीक्षण के दौरान की गई गतिविधि के समय से भरे हुए रिकॉर्ड/रजिस्टर नहीं पाए गए।

इसके अलावा, प्लेटलेट कंसंट्रेट आईपी के लिए गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण (सेल व्यवहार्यता, पीएच इत्यादि) नहीं पाया गया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान डोनर काउच एफैक्रेसिस प्रक्रिया के लिए नहीं मिला और  डॉ. निशा सहरावत को एमओ के रूप में फॉर्म 26-जी के तहत पृष्ठांकित पाया गया।

जांच में पाई गई यह चीज़े

उपलब्ध रिकॉर्ड से, ब्लड सेंटर की गतिविधियों के साथ उनका जुड़ाव स्पष्ट नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि किट्स की सूची में किट के उपयोग और उपलब्ध स्टॉक को सत्यापित करने के तरीके में नहीं पाया गया और  किट स्टोरेज के लिए उपलब्ध कराया गया रेफ्रिजरेटर पैथोलॉजी लैब में प्रयोग करने योग्य सामग्री से भरा हुआ पाया गया।

उन्होंने बताया कि अधिकांश रक्त इकाइयां आधे भरे हुए लेबलों के साथ भरी हुई पाई गईं यानी संग्रह की तारीख/एकत्रित/समाप्ति तिथि आदि की तारीख आदि भरी नहीं पाई गईं। इसी प्रकार, प्लेटलेट कंसन्ट्रेट की समाप्ति पांच दिनों के बजाय छः दिनों के लिए नियत पाई गई है।

स्वास्थ्य से नहीं होने देंगे खिलवाड़

विज ने बताया कि राज्य में लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रकार से कार्य करने वाले ब्लड सेंटरों को कभी भी बख्शा नहीं जाएगा। विज ने बताया कि उन्होंने स्टेट ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी ब्लड सेंटरों की जांच की जाए और उनका निरीक्षण केंद्रीय एजेंसियों के नोडल अधिकारियों के साथ मिलकर किया जाए यदि किसी ब्लड सेंटर में किसी भी प्रकार की अनियमितता या उल्लंघना पाई जाएगी तो ऐसे ब्लड सेंटरों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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