हरियाणा में 5 मई से शुरू हो रही विद्यार्थियों के लिए मुफ्त टैबलेट योजना (Free Tablet Scheme) में बड़ा अपडेट है। इस टैबलेट से विद्यार्थी सिर्फ पढ़ाई कर सकेंगे और कोई मनोरंजक या अन्य एप नहीं चला सकेंगे। इसके साथ ही इस एप में सरकार का कोई प्रचार-प्रसार नहीं होगा और न ही पीएम-सीएम की तस्वीरें होंंगी। दरअसल राज्य के सरकारी स्कूलों के छात्र अब न केवल अपने शिक्षकों, बल्कि विश्व स्तरीय शिक्षकों से भी पढा़ई में मदद ले सकेंगे। प्रदेश सरकार पांच लाख बच्चों को जो टैबलेट देने जा रही है, उनमें पर्सनलाइज्ड अडेप्टिव लर्निंग प्लेटफार्म (पीएएल) मिलेगा।
खास बात यह कि दूसरे प्रदेशों की तरह इस टैबलेट में न तो केंद्र या प्रदेश सरकार का प्रचार होगा और न प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की फोटो दिखेगी। विद्यार्थी जैसे ही इन टैबलेट को खाेलेंगे, स्क्रीन पर ‘अवसर’ और ‘दीक्षा’ एप सहित पढ़ाई से संबंधित दूसरी सामग्री नजर आएगी।
बृहस्पतिवार को पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे दसवीं और बारहवीं के बच्चों को टैबलेट दिए जाएंगे। 2जीबी फ्री डेटा वाले इन टैबलेट से विद्यार्थी विभिन्न रिसर्च और प्रोजेक्ट से सकेंगे। पर्सनलाइज्ड अडेप्टिव लर्निंग प्लेटफार्म से कस्टम लर्निंग की सुविधा मिलेगी। यह ई-लर्निंग की ऐसी पद्धति है जो छात्र विशेष की जरूरतों को ध्यान में रखकर शिक्षा देने में मदद करती है। हर छात्र के लिए उसकी दक्षता और प्रदर्शन के आधार पर सीखने की प्रक्रिया को अमल में लाया जाता है।
अडेप्टिव टेस्ट संबंधित छात्र के विभिन्न विषयों के ज्ञान को सही तरीके से परखेंगे। समझ के मौजूदा स्तर के आकलन से छात्र की सीखने से संबंधित समस्या को समझने और उसे कम करने में मदद मिलती है। अडेप्टिव ई-टेक्स्ट बुक्स को छात्रों की खास जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
नहीं देख सकेंगे मनोरंजक या आपत्तिजनक कंटेंट
खास बात यह कि इन टैबलेट में सिर्फ पढ़ाई हो सकेगी। यू-ट्यूब समेत कोई ऐसा चैनल नहीं चलेगा जिस पर बच्चे फिल्म या अन्य कोई आपत्तिजनक सामग्री देख सकें। यह टैब एमडीएम यानी मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट प्रणाली से लैस होंगे।
बच्चों के कंटेंट देखने का पल-पल का रिकार्ड टैब में मौजूद रहेगा, जिसे समय-समय पर शिक्षा विभाग के अधिकारी देख सकते हैं। पाठ्यक्रम के अलावा इस साफ्टवेयर में वीडियो व गेम्स भी हैं। प्राइवेट स्कूलों की एप के तर्ज पर यह चलेगा। बच्चों के नियमित रूप से टेस्ट होंगे। एमडीएम सिस्टम के जरिए कोई बाहरी सामग्री नहीं देखी जा सकती।
अब बराबरी का होगा मुकाबला
सरकारी स्कूलों में अधिकतर विद्यार्थी निम्न मध्यम परिवारों से या वंचित वर्ग से आते हैं जिनके घरों में डिजिटल संसाधनों की कमी है। इस कारण वे पढ़ाई में पिछड़ जाते थे। अब मुकाबला बराबरी का होगा। संपन्न और वंचित की डिजिटल डिवाइड की खाई खत्म होगी।
उम्मीद है कि ई-अधिगम योजना से परीक्षा परिणाम में न केवल पास प्रतिशत बढ़ेगा बल्कि प्राप्त अंकों का प्रतिशत भी बढ़ेगा। सरकारी स्कूलों के बच्चे 21वीं सदी के कौशलों को सीखेंगे जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को लागू करने में सहायता मिलेगी।