हरियाणा सरकार ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले गरीब बच्चो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले सभी छात्र बेहद खुश हैं। अब हरियाणा के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे गरीब विद्यार्थिंयों की फीस सरकार भरेगी। इसके लिए एक शर्त भी रखी गई कि जिन परिवारों की सालाना आय 1.80 लाख रुपये से कम है, केवल उन्हीं परिवारों के छात्रों इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। सरकार के इस फैसले से छात्रों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। गरीब छात्रों को उच्च स्तर की शिक्षा भी उपलब्ध हो सकेगी। शनिवार को कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह घोषणा की थी।
आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति के तहत महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक (MDU, Rohtak), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (KU), महिला विश्वविद्यालय खानपुर (Women’s University Khanpur) सहित चार विश्वविद्यालयों ने केजी से पीजी (KG to PG Education) तक की शिक्षा एक ही स्थान पर मुहैया कराना शुरू कर दिया है।

अन्य विश्वविद्यालय भी केजी से पीजी तक की शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए तेजी से कार्य करें। रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम तैयार किए जाएं। कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य रूप से लागू की जाए ताकि हर युवा कंप्यूटर में दक्ष हो सके। सम्मेलन में शिक्षा, नीति, स्वरोजगार एवं प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

इस दौरान उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण, अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल, उच्चतर शिक्षा निदेशक राजीव रतन और शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष बीके कुठियाला ने भी अपनी बात रखी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पूर्व छात्र सम्मेलनों का हर वर्ष आयोजन किया जाए। वार्षिक दीक्षांत समारोह निश्चित अवधि में अवश्य किए जाएं। दीक्षांत समारोह में अंग्रेजों के से समय से चली आ रही पुरानी प्रथा के ड्रेस कोड में भी बदलाव किया जाना चाहिए।

युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए तकनीकी शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा विभाग का समायोजन किया जाएगा। इससे सरकार पर बोझ भी कम होगा और युवाओं को बेहतरीन स्तर की तकनीकी और उच्चतर स्तर की शिक्षा संयुक्त रूप से मिलेगी।
हिंदी को बढावा देने और अमृत सरोवर योजना के तहत मुख्यमंत्री ने एलएलबी, इंजीनियरिंग आदि पाठ्यक्रमों में इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को सरकारी विभागों के साथ जोड़ने के भी निर्देश दिए हैं।

अनुदान बहाली के बावजूद मुख्यमंत्री ने कुलपतियों को नसीहत दी कि विश्वविद्यालयों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जाए ताकि उन्हें सरकार की ग्रांट पर निर्भर न रहना पड़े। इसके लिए सरकार द्वारा बाहर से कराए जाने वाले कार्य विश्वविद्यालयों को दिए जाएंगे। कंसलटेंट, सर्वे जैसे कार्य के लिए सरकार बाहर से एजेंसियां हायर करती है। भविष्य में ऐसे कार्य विश्वविद्यालयों को दिए जाएंगे। इससे विश्वविद्यालय की आय में इजाफा होगा और वे आर्थिक रूप में सशक्त बनेंगे।