कुछ अलग करने की चाह ही इंसान को सफल बनाती है। अगर मन में कोई मुकाम हासिल करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान लगने लगती है। लेकिन जज्बे के साथ-साथ मेहनत व लग्न भी जरूरी है क्योंकि बिना मेहनत के सफलता कभी हाथ लगती। देश के छोटे से छोटे कस्बे गांवों में टैलेंट की भरमार है बस जरूरत है उसे सही दिशा और सपोर्ट देने की। बता दें कि हाल ही में कंवारी गांव के बेटे अभिषेक भारद्वाज भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दरअसल अभिषेक शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। इनके पिता अनिल भारद्वाज आर्मी में सूबेदार हैं और माता सुशीला देवी शिक्षिका हैं।
जब अभिषेक को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला और उन्होंने इसे लेफ्टिनेंट बनकर सफलता के रूप में फलीभूत किया। वर्ष 2020 में अभिषेक चेन्नई में अपनी बीटेक की पढ़ाई के साथ भारतीय नौसेना के लिए आइनेट यानी इंडियन नेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट की तैयारी कर रहे थे।
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मार्च में महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा था। तब अभिषेक अपने दादा-दादी से मिलने गांव कंवारी आए। यहां पर उनको पढ़ाई के लिए माहौल अनुकूल लगा तो यहीं पर रहकर अपनी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया।
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बता दें कि करीब तीन महीने कंवारी गांव में रहकर ही उन्होंने तैयारी की। उसके बाद चेन्नई वापिस चले गए और आइनेट में सफलता प्राप्त की। उसके बाद SSB यानी सर्विसेज सलेक्शन बोर्ड का इंटरव्यू भी पास किया। इसके बाद 26 दिसंबर 2021 में केरल के एजिमाला में स्थित इंडियन नेवल एकेडमी में इनकी ट्रेनिंग शुरू हुई।
सफलता के पीछे है इनका हाथ
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अपनी बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब वह जून 2022 में अपने गांव स्वजनों से मिलने आए तो उन्होंने जब अपनी सफलता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के पीछे माता-पिता के अलावा दादा डॉ. उमेद शर्मा व दादी गीना देवी की अहम भूमिका है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय जब वह घर पर पढ़ाई करते थे तो उनकी दादी देर रात तक जागकर उनके लिए खाना बनाती थी। क्योंकि वह देर रात तक पढ़ाई करता था तो इस वजह से लेट ही खाना खाता था। दादा भी समय समय पर जांचते थे कि वह पढ़ रहा है या सो रहा है। अभिषेक के लेफ्टिनेंट बनने पर पूरे गांव-परिवार में खुशी का माहौल है। इनकी छोटी बहन अस्मिता फिलहाल नीट की तैयारी कर रही है।
लक्ष्य हासिल करने के लिए सबसे जरूरी चीज
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अभिषेक ने कहा कि शिक्षा के बूते अगर लक्ष्य हासिल करना है तो टाइम मैनेजमेंट बहुत ही जरूरी है। ऐसा करके आप उस विषय को और भी ज्यादा व जरूरत अनुसार समय दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद 16 घंटे पढ़ते और 6 घंटे सोते और बाकी दो घंटे में अपने अन्य जरूरी काम निपटाते थे।