दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने का गौरव ही कुछ अलग होता है। अब तक केवल वयस्कों ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था। लेकिन हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम के छोटे बच्चे ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा फहराया है। जिसके बाद हर जगह केवल इसी बच्चे की चर्चा हो रही है खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी इस बच्चे से मुलाकात कर उसे तिरंगा फहराने के लिए प्रशंसा पत्र भेंट किया और भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
बता दें कि सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुग्राम के गांव बाबरा बाकीपुर के बच्चे हेयांश कुमार का माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा फहराने के लिए उसे प्रशंसा पत्र भेंट किया और भविष्य के लिए उसे शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि इस बच्चे ने छोटी आयु में ही माउंट एवरेंस्ट बेस कैंप में 5364 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय दिया है और हरियाणा व गुरुग्राम का नाम रोशन किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में खेलों का ऐसा माहौल है कि छोटी आयु से ही बच्चे खेलों में रुचि लेते हैं। खेल की इसी भावना का प्रदर्शन करते हुए हेयांश ने इतनी कम उम्र में राज्य का गौरव बढ़ाया है, वह दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प तक पहुंचने वाला सबसे कम उम्र का पर्वतारोही बन गया है। मुख्यमंत्री ने हेयांश कुमार के माता-पिता को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

मुख्यमंत्री ने हेयांश कुमार को गोद में बैठाकर उससे खूब बातें की। हेयांश से बातचीत करने के दौरान उन्हें अपना बचपन याद आ गया वह उससे एक बच्चे की तरह ही बात कर रहे थे। उन्होंने हेयांश को मिठाई खिलाई और हेयांश से जाना कि माउंट एवरेंस्ट चढने का विचार कहाँ से आया, बेस कैंप में जाकर उसे कैसा लगा, क्या अच्छा लगा और क्या बुरा और कैसा अनुभव रहा।

उल्लेखनीय है कि 3 वर्ष, 7 माह और 27 दिन की अल्पआयु में गुरुग्राम जिला का हेयांश कुमार विश्व के सबसे कम उम्र का पर्वतारोही बन कर सुर्खियों में आया। हेयांश ने इतनी कम उम्र में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई कर अद्भुत दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है और उसका बेस कैम्प समुद्र तल से 5364 मीटर की ऊँचाई पर था।

उसकी इस यात्रा को मैनकाइंड फार्मा द्वारा प्रायोजित किया गया था। हेयांश कुमार ने हिमाचल प्रदेश में अपना औपचारिक प्रशिक्षण पूरा किया। इसके बाद 23 अप्रैल 2022 को अपने पिता मंजीत कुमार के साथ यह यात्रा शुरू की। इससे पहले यह रिकॉर्ड 4 साल 4 माह के एक बच्चे अद्विवत गोलेचा के नाम था।