समय के साथ-साथ बेटियों को लेकर लोगों की सोच भी बदल रही है। हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी बेटियों को बोझ समझा जाता था। पहले जितना प्यार-दुलार बेटों को दिया जाता था उतना कभी बेटियों को नहीं मिला। हमेशा से ही इस समाज में लड़के लड़की में भेद किया जाता था। लेकिन आज इस सोच को बदलने का प्रयास (Well worship on the birth of granddaughter) किया जाता है। पहले लोग बेटी पैदा होने पर दुख मानते थे उसे श्राप समझे थे लेकिन आज बेटियों को घर की लक्ष्मी मानते हैं।
बेटी होना भगवान का वरदान समझते हैं। हरियाणा के नूह से ऐसी ही (Nuh News) एक खबर सामने आ रही है जहां पुन्हाना उपमंडल (Punhana Sub-Division) के गांव बिछौर के एक गरीब परिवार ने अनोखी मिसाल पेश की हैं।

बता दें कि बेटा बेटी में भेदभाव खत्म करने के लिए बिछौर निवासी रामचंद्र के घर जब पोती ने जन्म लिया तो उन्होंने यह खुशी दुगनी करने के उद्देश्य से परिवार द्वारा बेटी का कुआं पूजन कार्यक्रम किया गया।

रामचंद्र ने घर में लड़की (पोती) के जन्म पर गांव के लोगों को भोजन कराया और डीजे व ढोल-नगाड़ों के साथ नाच-गाकर कुआं पूजन करवाया गया। गांव में कई लोगों ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि जो खुशी लोग लड़का पैदा होने पर या उसकी शादी में भी नहीं मनाते, वह खुशी एक दादा ने पोती के पैदा होने पर मनाई।

नूह जिले के बड़े गांव बिछौर में इस गरीब परिवार ने लड़की का कुआं पूजन कर यह साबित कर दिया है कि आज लड़का व लड़की में कोई अंतर नहीं है।

साथ ही इस परिवार ने बेटियों का मान-सम्मान बढ़ाने का भी कार्य किया है। आज किसी भी क्षेत्र में लड़कियां लड़कों से पीछे नहीं हैं। लड़की माता-पिता की सेवा लड़कों से बेहतर करती है।