ज़ाहिर सी बात है कम्पनियों से निकलने वाली गन्दगी और केमिकल से जल और आस पास का वातावरण जहरीला होता है जिसका सीधा प्रभाव यहाँ पादपों पर पड़ रहा है । पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हैं। जिससे हरियाली भी खत्म होती जा रही है ।
आपको बता दें सेक्टर-58 स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में बनी फैक्ट्रियों ने केमिकल युक्त पानी फेंक कर ग्रीन बेल्ट बंजर कर दी है, उसकी मिट्टी काली पड़ चुकी है।

अधिकारियों के ध्यान न देने पर अब झाड़सेतली रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन ने ग्रीन बेल्ट को संवारने का जिम्मा उठाया है।
RWA यहां ढाई एकड़ ग्रीन बेल्ट पर पौधे लगाने जा रही है। पदाधिकारियों ने कहा कि फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी भूजल के साथ मिट्टी को भी खराब कर रहा है। जिससे यहां पौधों से लेकर घास तक खत्म हो गई है।
RWA यहां 4 से 5 फीट गहराई तक खुदाई कर काली मिट्टी हटा रही है और उसकी जगह नई मिट्टी को ऊपर करवा रही है, ताकि 1 हजार पौधे रोपे जा सकें।

300 से ज्यादा डाइंग यूनिट वाले सेक्टर 58 में से ज्यादातर गंदा पानी खुले में बहा देती हैं। इन फैक्ट्रियों को अपने परिसर में ईटीपी प्लांट लगाना होता है, ताकि दूषित पानी को ट्रीट कर सीवर लाइनों में डाल जाए।
लेकिन, कई फैक्टियों ने ईंटीपी प्लांट नहीं लगाया है। बीते 4 साल में प्लॉट नंबर 291 के आसपास की ग्रीन बेल्ट, पर इतना केमिकल युक्त पानी बहाया गया कि वहां का भूजल तो दूषित हुआ ही, इलाके की मिट्टी का रंग भी काला हो गया। जिसके कारण वहां लगे पेड़-पौधे नष्ट हो गए।
झाड़सेतली रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन के सदस्य चरण डागर ने बताया कि प्लॉट नंबर 291 के आसपास ढाई एकड़ में ग्रीन बेल्ट है। फैक्ट्रियों का गंदा पानी यहां भर जाता है।

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कई बार गंदा पानी नगर निगम की सीवर लाइनों में भी डाल दिया जाता है।
चरण डागर ने बताया कि RWA ने अपने खर्चे पर ग्रीन बेल्ट को हरा-भरा करने की बात कही है। यहाँ का पानी इतना जहरीला है की यहाँ की मिट्टी काली पड़ गई है साथ ही सारे पौधे नष्ट हो चुके हैं।
इसलिए 4 से 5 फीट गहराई तक जमीन को खोदकर काली मिट्टी हटाई जा रही है। यहां 1 हजार पौधे लगाए जाएंगे। हरियाणा स्टेट पलूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर दिनेश ने कहा कि सीवर ओवरफ्लो होने पर पानी ग्रीन बेल्ट में भर जाता है।
सेक्टर में पानी से जुड़ी सभी यूनिटों की मॉनीटरिंग करते हैं। सीपीसीबी भी औचक निरीक्षण के साथ सैंपलिंग करता है। जहां कमियां दिखाई देती है, तुरंत कार्रवाई की जाती है।