फरीदाबाद और नोएडा को जोड़ने वाला पुल तकरिबन आठ सालों से चर्चा में है। आपको बता दें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच में इस जमीन को लेकर अधिग्रहण का मामला अटका हुआ है। आपको बता दें पुल निर्माण की घोषणा लगभग आठ साल पहले ही हो गई थी लेकिन कार्य अटका हुआ था, परंतु अब इस पुल का निर्माण कार्य जोरों शोरों से किया जा रहा है।

आपको बता दें कि 15 अगस्त 2014 को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने फरीदाबाद के मंझावली गांव में इसका शिलान्यास किया था। इस पुल की परिकल्पना मौजूदा भारी उद्योग एवं ऊर्जा राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर द्वारा की गई। इसके साथ ही इस पुल का निर्माण फरवरी 2018 में शुरू किया गया। उस समय 630 मीटर लंबे इस पुल के निर्माण के लिए 125 करोड़ रुपये की लागत तय की थी।

आपको बता दें कि इस पुल के पूरे होने की डेडलाइन को लगभग छह बार बदला गया है। इसके अलावा आपको बता दें कि जमीन अधिग्रहण विवाद और तीन पिलरों के निर्माण तकनीकी दिक्कत बनी बाधा इस पुल निर्माण को लेकर पहली डेडलाइन दिसंबर 2019 दी गई थी । अब नई डेडलाइन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिसंबर 2022 तय की है। जमीन अधिग्रहण विवाद के अलावा यमुना में बनने वाले तीन पिलरों के निर्माण में भी तकनीकी दृष्टिकोण से बाधा आ रही है।
हरियाणा सरकार द्वारा फ्लैगशिप प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है जिसमें इसे शामिल किया हुआ है। प्रोजेक्ट में हो रही अनावश्यक देरी को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों के साथ इसकी समीक्षा की। सीएम ने अधिकारियों को दो सप्ताह में समस्त विवाद सुलझाने का अल्टीमेटम दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को छह महीने के अंदर यह कार्य समाप्त करने और पुल को चालू करने का आदेश दिया है।

इस पुल से पहले यमुना पर कालिंदी कुंज के पास दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाला पुल बन गया मगर मंझावली पुल का निर्माण नहीं हो पाया है जिससे इस पुल का निर्माण करने वाले ठेकेदार पर सवाल उठाये जा रहे हैं । मंझावली पुल निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने पर भी जांच हो चुकी है। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर कई बार इस प्रोजेक्ट का स्वयं निरीक्षण कर चुके हैं। उन्होंने ही इसके निर्माण में तेजी के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था |
