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इस तकनीक से हरियाणा के किसान ने रेतीली जमीन पर उगा दिया ऐसा फल कि हर कोई हो गया हैरान

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धीरे धीरे हरियाणा में पारंपरिक खेती की जगह किसान बागवानी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। परंपरागत खेती का मोह त्यागकर बड़ी संख्या में किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। इसके जरिए किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं और कामयाबी हासिल कर रहे हैं। प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर भी किसानों को परंपरागत खेती की जगह बागवानी करने को (Organic farming became a profitable deal) प्रेरित कर रहे हैं। सीएम की बातों प्रभावित होकर हरियाणा के एक किसान ने ऑर्गेनिक खेती के जरिए नया कारनामा कर दिखाया है। जिसकी हर जगह चर्चा हो रही है।

चरखी दादरी जिलें के गांव गोपी निवासी मनोहर अपने कारनामे की वजह से आज अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं। उन्होंने न केवल ऑर्गेनिक खेती के जरिए बेहतर फसल उगाई है बल्कि लाखों रुपए की आमदनी कर अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत भी किया है।

बता दें कि 2016 से किसान मनोहर टमाटर, मिर्च, खीरा व हरी सब्जियों की खेती कर रहे हैं और जिससे भरपूर पैदावार हो रही है। इसके साथ-साथ वह हल्दी की खेती भी करते हैं, जिससे अच्छी-खासी आमदनी हो रही है।

मुनाफे का सौदा बनी ऑर्गेनिक खेती

बता दें कि गेहूं व सरसों की फसल में अधिक मेहनत और खर्चा लगता है लेकिन सब्जी की खेती करने से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। मनोहर ने बताया कि वह खुद ऑर्गेनिक खाद तैयार करते हैं जिससे सब्जी की फसल को बीमारियों से सुरक्षित रखा जाता है।

वहीं ऑर्गेनिक खेती से उगने वाली सब्जियां और फल सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके अलावा रेतीली जमीन पर पांच एकड़ में खजूर के पेड़ भी लगाए हैं और बहुत जल्द इनसे फल मिलने शुरू हो जाएंगे।

ऐसे करें आर्थिक स्थिति मजबूत

आपको बता दें कि किसान मनोहर ने दो एकड़ जमीन पर नेट हाउस लगाया है जिसमें वह हरी मिर्च की खेती कर रहे हैं। नेट हाउस लगवाने पर सरकार की ओर से उन्हें सब्सिडी भी दी गई है। उन्होंने अन्य किसानों से भी इस नई तकनीक को अपनाने की अपील की ओर उन्हें बताया कि इसमें कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा कर आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

केमिकल फर्टिलाइजर मुक्त खेती

किसान ने बताया कि इस तरह की खेती में केमिकल फर्टिलाइजर की जगह ऑर्गेनिक खाद और बायो फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है। साथ ही बारिश के पानी को स्टोर करने के लिए तालाब भी बनाए जाते हैं और इसी पानी में मछली पालन के रुप में अतिरिक्त व्यवसाय भी किया जा सकता है।

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