जरूरी नहीं कि जिनकी आंखों की रोशनी नहीं होती वह कुछ काम नहीं सकते। अगर हुनर हो तो ये दिव्यांगता भी घुटने टेक देती है। जो लोग यह मानते हैं कि दिव्यांग कुछ नहीं कर सकते उनके लिए मुकेश एक उदाहरण हैं। दिव्यांगता को अपनी कमजोरी न बनाकर ताकत बनाने वाली मुकेश रानी आज इंटरनेशनल लेवल की खिलाड़ी बन चुकी हैं। आज वह खेल की नई-नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। आज वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्लाइंड जूडो की खिलाड़ी हैं और इंटरनेशनल स्तर पर ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
कजाकिस्तान में आयोजित हुई इस प्रतियोगिता में मुकेश रानी ने देश का नाम रोशन कर दिया। वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस चैंपियनशिप में मेडल जीता हो।

बता दें कि मुकेश रानी अंबाला में खेल विभाग के तहत बतौर बॉक्सिंग कोच तैनात संजय कुमार की पत्नी हैं और राजकीय स्नातकोत्तर कालेज से पढ़ाई का रही हैं।
बीमारी ने छीन ली आंखें

कुछ साल पहले वह गंभीर रूप से बीमार हो गईं थी जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली हुई। इसके हर किसी को यही लगा कि वह हिम्मत हार जाएंगी लेकिन उन्होंने सबको गलत साबित किया और दिव्यांगता को पछाड़ आगे बढ़ने की ठानी।
इसके बाद सबसे पहले उन्होंने राजकीय स्नातकोत्तर कालेज अंबाला कैंट मेें बीए में दाखिला लिया। वह बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने ऑडियो बुक के जरिए अपनी पढ़ाई शुरू की और साथ ही ब्लाइंड जूडो की ट्रेनिंग भी।
खेल मंत्री ने की तारीफ

बीते दिनों खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी मुकेश की प्रतिभा का लोहा माना और उनको सम्मानित किया। मुकेश रानी को इस उपलब्धि पर उन्होंने बधाई दी और इसमें और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया।

इसी साल मई 2022 में कजाकिस्तान के नूर सुलतान में IBSA की ब्लाइंड जूडो प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें मुकेश ने भी भाग लिया और देश को कांस्य पदक दिलाया।