जैसे ही सावन का महीना शुरू होता है तो हर तरफ सावन की स्पेशल मिठाइयां (Special Sweets) तैयार की जाती हैं। पूरे साल लोग इन मिठाइयों के लिए सावन के आने का इंतजार करते हैं। वहीं अब हरियाणा के पूंडरी में भी सावन के हसीन तोहफे के नाम से मशहूर फिरनी (Pundri ki firni) बनना शुरू हो चुकी है। कहते हैं कि फिरनी एक ऐसी मिठाई है जिसके बिना बहन की कोथली (Behan ki kothali) अधूरी है। सावन के महीने में जब भाई अपनी विवाहिता बहन के घर कोथली लेकर जाते हैं तो उसमें फिरनी सबसे खास होती है।
वैसे तो करीब एक महीना पहले ही फिरनी बनाने का काम शुरू हो जाता है। लेकिन माना जाता है कि फिरनी खाने का असली मजा मानसून की पहली बारिश के बाद ही आता है। 30 जून को मानसून की जोरदार बारिश के बाद से फिरनी का सीजन अपने जोरों शोरों पर है।
पूंडरी में जितनी भी मिठाई की दुकानें हैं सभी इन दिनों फिरनी से सजी हुई हैं। सभी हलवाई फिरनी बनाने के काम जुटे हुए हैं। पूंडरी-फतेहपुर में भारी तादाद में बनने वाली फिरनी प्रदेश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी महक फैला रही है।
बच्चे ही नहीं बड़े बुजुर्ग भी इस मिठाई के दीवाने हैं। मैदा, चीनी और घी के मिश्रण से यह लाजवाब मिठाई बनती हैं। सावन आते ही प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पूंडरी की फिरनी की डिमांड शुरू हो जाती है। जैसे ही फिरनी की डिमांड बढ़ने लगती है तो फिरनी बनाने वाले कारीगरों की मांग बढ़ जाती है और कई बार तो ढूंढने पर भी कारीगर नहीं मिलते।
पूंडरी फतेहपुर हलवाई यूनियन के प्रधान रघुबीर सैनी ने बताया कि दो से तीन महीने तक चलने वाले इस फिरनी के सीजन में दिन-रात काम करने के बावजूद भी वह आर्डर पूरा नहीं कर पाते। फिरनी का मिश्रण तैयार करने से लेकर इसे बनाने की प्रक्रिया बड़े ध्यान से की जाती है। तभी फिरनी की सही मिठास और स्वाद मिल पाता है। उन्होंने कहा कि फिरनी का स्वाद क्या बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर उठाते है। पिछले कई वर्षों से फिरनी का मिश्रण तैयार करने के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
फिरनी का सीजन शुरू होते ही पूंडरी ही नहीं प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भी फिरनी बनाने का काम शुरू हो जाता है। लेकिन पूंडरी जैसा स्वाद कहीं नहीं मिल पाता। यह मिठाई फिर भैया दूज तक बनाई जाती है। बहनों को जाने वाली कोथली में घेवर (Ghevar) व अन्य मिठाइयों के साथ साथ फिरनी भी जरूर जाती है।