हरियाणा सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयत्न कर रही हैं। धीरे धीरे प्रदेश के प्रसिद्ध स्थानों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। पांच राज्यों की प्यास बुझाने वाला यूपी और हरियाणा के बॉर्डर पर मौजूद हथिनीकुंड बैराज अब पर्यटन का केंद्र (Hathnikund barrage is now going to become the center of tourism) बनने जा रहा है। अब जल्दी ही पर्यटक यहां हथिनीकुंड में राफ्टिंग (Rafting in Hathnikund barrage) के मजे ले पाएंगे। इसके लिए सिंचाई विभाग की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान, दक्षिण हरियाणा और उत्तर प्रदेश में यहां से नहरों के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है।
हथनीकुंड बैराज को टूरिस्ट हब बनाए जाने की तैयारी (Preparation to make Hathnikund barrage a tourist hub) जोरों पर है। बैराज पर वाटर स्पोर्ट एक्टिविटीज (water sports activities) होगी। गत दिनों टूरिज्म डिपार्टमेंट की टीम ने भी यहां दौरा किया था। बता दें कि बीते दिनों टूरिज्म डिपार्टमेंट की टीम ने भी यहां का दौरा किया था।
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सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार तेज बहाव से करीब 100 मीटर की दूरी को छोड़कर बाकी एरिया में यह एक्टिविटीज होंगी। बोटिंग, मोटर बाइक व अन्य गतिविधियां करवाई जाने की योजना है। इससे दूर दराज से आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। बैराज के पास ही थीम पार्क बनाए जाने की योजना पर काम चल रहा है।
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बता दें कि 23 एकड़ जमीन पर 12 करोड़ की लागत से थीम पार्क बनाया जा रहा है। दो एकड़ में लेक तैयार होगी। इसमें भी बोटिंग समेत अन्य गतिविधियां हो सकेंगी। इसके अलावा बच्चों के खेलने के लिए पार्क, नक्षत्र केंद्र, मनोरंजन के लिए भूल भुलैया व रेस्टोरेंट, घूमने के लिए झूले, पीने का साफ पानी, शौचालय, सेल्फी प्वाइंट आदि सुविधाएं दी जाएंगी। यहां पर्यटक पूरी तरह प्रकृति का आनंद ले सकेंगे।
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर यमुना नदी पर बने हथनीकुंड बैराज का उद्घाटन नौ जुलाई 1999 को तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल ने किया था। अपने वाहन के अलावा हरियाणा रोडवेज की बस से प्रतापनगर होते हुए आसानी से बैराज पर पहुंचा जा सकता है।
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उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर से भी बस सर्विस है। बैराज के 18 गेट हैं। जिसमें 15 गेट हरियाणा और तीन उत्तर प्रदेश को लगते हैं। बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी के दबाव की है। मानूसन सीजन में हर एक घंटे के अंतराल के बाद वाटर लेवल की रिपोर्ट प्रदेश व केंद्र सरकार के पास भेजी जाती है ताकि समय रहते प्रशासन बाढ़ बचाव के इंतजाम पूरे कर आसपास के क्षेत्र में अलर्ट करवाया जा सके।
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बैराज से ही पश्चिमी यमुना नहर से दिल्ली व पूर्वी नहर उत्तर प्रदेश में पानी का बटवारा किया जाता है। हथनी कुंड बैराज से पहले इसके पा ब्रिटिश काल में ताजेवाला हेड वर्कस तैयार किया था। 128 वर्ष तक इस बैराज ने सेवाएं दी। वर्ष 2012 में आई बाढ़ में यह बैराज बह गया था। अब यहां पर इसके अवशेष खड़े है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह बैराज बाढ़ की चपेट में आया। ये अवशेष भी लोगों का आकर्षित करते हैं।
बैराज के पास ही हिमालय के शिवालिक पर्वतमाला में प्रतापनगर एरिया में स्थित कलेसर नेशनल पार्क बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है। जंगल की सीमा तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश से लगी हुई है। आठ दिसंबर 2003 को 11570 एकड़ में फैले जंगल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित हुआ। पार्क के नजदीक ही कलेसर वाइल्डलाइफ सेंचूरी है।
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पार्क जैव विविधता गुफाओं के साथ वन, खैर के जंगलों, घास जंगली जानवरों के लिए अनुकूल है। घने जंगलों में शाकाहारी सांभर, चीतल, बार्किंग डीयर, गोरल, हिरण, नील गाय, नील बैल, जंगली सुअर, जंगली मूर्गा बड़ी संख्या में है। वन विभाग की गाड़ी पर्यटकों को जंगल में घुमाती है हालांकि बरसात में जंगल बंद कर दिया जाता है। वन्य जीवप्राणी आसानी से दिखाई देते हैं।
बैराज से पांच किमी दूर कलेसर से पहले प्रतापनगर से ताऊ देवी लाल हर्बल पार्क चुहड़पुर का रास्ता जाता है। यहां प्राकृतिक जड़ी बूटियों का भंडारा है। यह 184 एकड़ जमीन पर फैला है। इसमें 350 से ज्यादा दुर्लभ जड़ी बूटियों का संग्रह किया गया है। यहां पर मिजाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम भी आ चुके हैं। उन्होंने ही पार्क का उद्घाटन किया था।
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आज भी पार्क में वह कुर्सी रिर्जव है जिस पर वह बैठे थे। बिलासपुर-प्रतापनगर मार्ग पर लेदी गांव के निकट प्रदेश का इकलौता हाथी पुनर्वास केंद्र बनसंतौर है। वर्ष 2008 में करीब एक करोड़ की लागत से 50 एकड़ जमीन पर चौ. सुरेंद्र सिंह हाथी पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई। केंद्र में पांच हाथियां रखने के इंतजाम है। फिलहाल यहां पर चार हथनियां हैं।