कहते हैं कि भगवान जब भी देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है अगर यही कहावत हम धरती को लेकर कहें तो गलत नहीं होगा। या ये कहें कि जब ये धरती खुश होती है तो हीरे-मोती भी देती है। हाल ही में हरियाणा के खंड रौदार के गांव दोहली के एक किसान ने ऐसा कारनामा का दिखाया है जिसे देख आसपास के लोग तो हैरान हैं ही, कृषि विशेषज्ञ भी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे। बता दें कि युवा किसान वागीश कुमार (young farmer Vagish Kumar) के गन्ने इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन गन्नों की खसियत ये है कि यह आम गन्नों से काफी ज्यादा बड़े हैं और एक सामान्य व्यक्ति से दो गुना बड़े हैं।
वहीं खास बात तो यह है कि गन्ने के साथ साथ लहसुन की फसल भी तैयार की। किसान का कहना है कि उन्होंने खाद खुराक केवल लहसुन की फसल को दी थी लेकिन उसका फायदा गन्ने की फसल को हुआ है।
खास बात यह है कि गन्ने के साथ लहसुन की फसल भी तैयार की। किसान के मुताबिक उन्होंने खाद-खुराक केवल लहसुन की फसल को दी है। लेकिन उसका फायदा गन्ने की फसल को मिला है। गन्ने की फसल को अतिरिक्त खुराक देने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी है।
गन्ने के साथ लहसुन की बिजाई
किसान वागीश ने बताया कि 12 सितंबर को उन्होंने गन्ने की रोपाई की थी और इनके बीच करीब 4 फीट की दूरी रखी थी। इसके साथ ही उन्होंने लहसुन की भी बिजाई की थी। मार्च-अप्रैल में लहसुन की फसल तैयार हो गई। करीब 30 क्विंटल लहसुन की पैदावार हुई, उसके बाद निराई-गुड़ाई की गई।
उन्होंने आगे कहा कि सरसो और गेहूं की कटाई करने के बाद ही किसान गन्ने की बिजाई करते हैं। लेकिन अगर सितंबर-अक्टूबर के महीने में इसकी बिजाई की जाए तो पैदावार भी अधिक रहती है और साथ में दूरी फसल बोनस की तो पर मिल जाती है। गन्ने की फसल को अधिक खुराक की जरुरत नहीं पड़ती। इसके साथ-साथ प्याज, गोभी व दालों की खेती भी बेहतर तरीके से की जा सकती है। सुरक्षित रही फसल
सुरक्षित रही फसल
किसान ने बताया कि अगर गन्ने के साथ-साथ लहसुन या प्याज की फसल उगाई जाए तो इसका विशेष रुप से फायदा मिलता है। लहसुन-प्याज की गंध की वजह से गन्ने की फसल पर काली कीड़ी व टोप बोरर जैसे कीटों का आक्रमण नहीं होता। इसकी वजह से फसल पूरी तरह सुरक्षित रहती है। लेकिन अन्य किसानों के गन्ने की फसल को टोप बोरर की वजह से भारी नुकसान हुआ। बचाव के लिए दवाइयों का भी छिड़काव किया गया, लेकिन जिन खेतों में गन्ने के साथ लहसुन-प्याज की फसल थी वह पूरी तरह से सुरक्षित रही।
महीनों तक चलेगी बंधाई
बता दें कि इन दिनों गन्ने की तीसरी बंधाई चल रही है। गिरने से रोकने के लिए फरवरी-मार्च तक और भी कई बंधाई होगी। वागीश ने बताया कि अक्टूबर में बिजाई का बड़ा फायदा यह है कि मिल इसको प्राथमिकता के आधार खरीदता है और मुंडे में ही इसकी बोंडिंग होती है। जनवरी-फरवरी में इसकी कटाई की जा सकती है।
600 क्विंटल पैदावार होने की उम्मीद
किसान ने कहा कि अगर विशेषज्ञों के परामर्शानुसार व आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाया जाए तो बेहतर पैदावार ली जा सकती है। साथ ही फसल पर आने वाला खर्च भी कम होगा। ऐसा होने से किसान की आमदनी भी बढ़ेगी। इसके लिए किसान को थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन परिणाम सकारात्मक आएंगे। फिलहाल गन्ने की स्थिति को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही हैं कि प्रति एकड़ 600 क्विंटल की पैदावार हो सकती है। वही सामान्य तरीके से तैयार किए गए गन्ने की पैदावार 400-450 क्विंटल रहती है।