बीते करीब 22 वर्ष से गोंदर में बना श्री हनुमान अखाड़ा युवाओं की पहली पसंद है। यहां युवाओं को कुश्ती के दांवपेंच सिखाकर उनके हुनर को तराशा जाता है। ताकि युवा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर खेल कोटे के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर अपना भविष्य संवार सकें।

अखाडा संचालक संजय पहलवान ने बताया कि अखाडा पर लडक़े ही नहीं बल्कि लड़कियां भी कुश्ती के गुर सीखती हैं। आठ से दस लड़कियां प्रतिदिन अखाडे में कुश्ती का अभ्यास करती हैं। वहीं दो दर्जन से अधिक युवा रोजाना अभ्यास करने पहुंचते हैं। राहुल पहलवान, सतीश पहलवान, हरिओम, पलविंद्र व महिपाल कुश्ती के दांवपेंच सिखाते हैं।
15 युवा खेल कोटे से नौकरी में
राहुल पहलवान, सतीश पहलवान, हरिओम, पलविंद्र व महिपाल कुश्ती के दांवपेंच सिखाते हैं उन्होंने बताया कि करीब 15 युवा खेल कोटे के तहत पुलिस, आर्मी व रेलवे में नौकरी पा चुके है। कई युवा सेना में भर्ती के लिए अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका मकसद युवाओं को खेलों की तरफ आकर्षित करना है, ताकि नशे सरीखी गलत प्रवृतियों से बचाया जा सके। , जिसे लेकर अखाडे में लगभग सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है। आर्थिक रूप से कमजोर युवा की यथासंभव मदद भी की जाती है। ताकि आर्थिक तंगी के कारण युवा हताश होकर पहलवानी न छोड़ दें। इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है। युवा पहलवानों की नर्सरी तैयार करने में पूर्व पहलवानों का सहयोग रहता है।

ईनामी कुश्ती दंगल में निखरता पहलवानों का हुनर
संजय पहलवान ने बताया कि हर वर्ष ग्रामीण समाजसेवी सिंगला परिवार के सहयोग से गोगा नवमी पर ईनामी कुश्ती दंगल आयोजित करवाया जाता है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से पहलवान पहुंचते हैं। वे हजारों की संख्या में पहुंचने वाले दर्शकों को एक से बढकर एक दांवपेच वाली कुश्ती दिखाकर तालिया बटौरते हैं। दंगल में श्रीहनुमान अखाडे के खिलाड़ी अपना दमखम दिखाते हैं। इससे उनके अखाडे के पहलवानों की प्रतिभा निखरती है। हर वर्ष कुश्ती दंगल में सहयोग को लेकर सिंगला परिवार का आभार रहता है, जो खेलों को बढ़ावा देने में मदद करते है। अखाडे में वार्षिक दंगल से पूर्व अभ्यास करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ जाती है।