चंडीगढ़ में वाहनों की संख्या बहुत अधिक है. एक अध्ययन के अनुसार, चंडीगढ़ में प्रति 1000 लोगों पर 878 वाहन रजिस्टर्ड है. जब वाहन सड़क पर चलते हैं, तो उनके Tire सड़क पर खराब हो जाते हैं. इस घर्षण से निकलने वाले तत्व प्रदूषण को भी बढ़ाते हैं. इसने शहर के Eco- System को भी नष्ट कर दिया है.
धुंआ उगलने वाले वाहन शहर के मौसम को जहरीला बना रहे हैं. PGI ने 25 साल के प्रदूषण के आंकड़ों का आकलन करते हुए पाया कि चंडीगढ़ में बढ़ते प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है. इससे आम- जन के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है. परंतु प्रशासन ने अब इसे बचाने के लिए फैसले लेने शुरू कर दिए हैं.
प्रशासन ने लिए कड़े फैसले
चंडीगढ़ को 2030 तक जीरो कार्बन एमिशन सिटी बनाए जाने का Decision लिया गया. इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है. अब से चंडीगढ़ प्रशासन ने सिटी सर्विस के लिए डीजल बसों की खरीद पर रोक लगा दी है. इलेक्ट्रिक वाहनों को छोड़कर सभी ऑटो का Registration बंद है.
प्रशासन ने किए विशेष प्रावधान
Diesel और Petrol वाहनों के ऑप्शन को इलेक्ट्रिक बनाने के लिए भी समयसीमा निर्धारित की गई है. प्रशासन ने पॉलिसी की अवधि पांच साल रखी है. यानी 2027 तक बिजली या वैकल्पिक ईंधन से बसें चलाना भी सुनिश्चित किया जाएगा. इसके तहत पांच साल बाद वर्ष 2027 तक चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड होने वाले 80% नए वाहन इलेक्ट्रिक होंगे. इसका मतलब ये है कि केवल 20% वाहन ही ऐसे होंगे जो ईंधन पर निर्भर होंगे.
Charging Stations की खास व्यवस्था
इसके साथ ही पहले साल 50 Charging Stations और दूसरे साल में 100 Charging Stations विकसित किए जाएंगे. सभी Petrol Pumps को नीति लागू होने के छह महीने के भीतर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने होंगे. जिन पेट्रोल पंपों के पास उचित स्थान नहीं है, उन्हें बगल की पार्किंग में स्थापित करना होगा.
जरूरी जानकारी
- इलेक्ट्रिक वाहन नीति के ड्राफ्ट में तय की गई समयसीमा.
- तीन साल बाद 80% नए वाहनों के विद्युतीकरण का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है.
- अगले सप्ताह High Power Committee की बैठक के बाद नीति को लागू करने पर फैसला लिया जाएगा.
- 2030 तक चंडीगढ़ को जीरो एमिशन सिटी बनाने का लक्ष्य.