सड़क पर दौड़ते वाहन में सवार यात्री अब नींद की वजह से झपकी आने से होने वाले हादसों से सुरक्षित रह सकते हैं। अब चालक को झपकी नहीं आएगी और न ही इसकी वजह से हादसे होंगे। इसके लिए हरियाणा के एमडीयू रोहतक यूआईईटी के इलेक्ट्रिकल विभाग के छात्रों ने एक खास चश्मा तैयार किया है। इसमें लगा एंटी स्लीपिंग ग्लास झपकी आने पर वाहन चालक को सचेत करेगा।
चालक की पलकें दो पल के लिए झपकीं तो चश्मा वाइब्रेट करने के साथ साउंड सिग्नल देगा। यह प्रोजेक्ट गुरुवार को यूआईईटी (यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) की ओर से मनाए गए इंजीनियरिंग दिवस पर प्रदर्शित किया गया।
सड़क हादसों ने दिया आइडिया
बीटेक चतुर्थ वर्ष के छात्र हिमांशु व साक्षी ने एंटी स्लीपिंग ग्लास तैयार किया है। अकसर झपकी आने से होने वाले सड़क हादसे व उसमें जान जाने की घटनाओं को देखकर विद्यार्थियों को एक उपकरण बनाने का आइडिया आया। देश में हर साल करीब 1500 हादसे झपकी आने की वजह से होते हैं। उत्तर प्रदेश में गत दिनों बस चालक को झपकी आने से इसमें सवार 30 लोगों की मौत हो गई थी।
इसी को ध्यान में रखते हुए अपनी सोच को साकार करने का प्रयास किया तो चश्मा बनाना बेहतर लगा। यह वाहन चलाते समय चालक को नींद की झपकी के साथ हादसे की संभावना से भी बचाएगा। इसके लिए चश्मे में आर्ड्रिनो (माइक्रो प्रोसेसर), आईआर सेंसर व कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का किया गया है। चश्मे के साथ ही महीन तारों के साथ नैनो तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है।
ऐसे करता है काम
चश्मा पहनने के बाद चालक नींद की झपकी से निश्चित हो सकता है। इसे फिट प्रोग्रामिंग के तहत दो पल के लिए पलकें झुकी रहेगी तो चश्मा वाइब्रेट करने के साथ आवाज भी करेगा। इसके लिए आईआर सेंसर लगाया गया है। यह सेंसर आंखों की हरकत को पढ़ता है। पलकों को झपकने पर फोकस रखता है। चश्मे का सेंसर आर्ड्रिनो को सिग्नल भेजता है।
आर्ड्रिनो पलकें झपकाने का निर्धारित समय जांच कर संदेश बजर व वाइब्रेटर को देगा। इससे चालक सचेत हो जाएगा और हादसा टल सकेगा। साथ ही इसे मोबाइल से भी जोड़ा जा सकता है। इससे चालक के अलावा वाहन में सवार दूसरा व्यक्ति भी चालक की झपकी पर नजर रख सकेगा। मोबाइल पर संदेश मिलते ही दूसरा व्यक्ति चालक को समय रहते सचेत कर सकेगा।
हादसे के बाद अस्पताल में जाएगा संदेश
प्रदर्शनी में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दुजाना के विद्यार्थियों ने व्हीकल एक्सिडेंट डिटेक्शन सिस्टम को प्रदर्शित किया। कक्षा 12वीं के छात्र मयंक, दीपांशु, विक्रम व दीपक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में जीपीएस की मदद से हादसे में घायलों को तुरंत मदद पहुंचाने का विकल्प सुझाया गया है। इसके लिए आर्ड्रिनो व जीपीएस को एक्सल मीटर के साथ जोड़ा गया है। सड़क हादसा होते ही यह सिस्टम स्वत: संदेश संबंधित या नजदीकी अस्पताल में भेजेगा। इससे वहां से समय पर उन्हें मदद मिल सकेगी।