झज्जर शहर की नगर परिषद ने जहां हाल ही में
स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान प्रदेश में पहला स्थान
हासिल किया है वहीं पहले नंबर पर ही काबिज रहने के
लिए शहर में साफ-सफाई को लेकर चाक-चौबंद प्रबंध
किए जा रहे हैं। अब अगले कुछ दिनों बाद शहर के
किसी भी नागरिक को उनकी गली में कूड़ा उठान की
गाड़ी नियमित नहीं आने की शिकायत नहीं रहेगी।
क्योंकि अब कूड़ा उठान वाली गाड़ियों की मॉनिटरिंग
कार्यालय से की किए जाने की कवायद शुरू की जा
चुकी है। इसके तहत जहां शहर की विभिन्न गलियों के
मुहानों पर एक माइक्रो चिप लगाई जाएगी वहीं गाड़ियों
में लगाए स्कैनर के जरिए कार्यालय में बैठ कर उनकी
मॉनिटरिंग की जा सकेगी।
स्वच्छ भारत मिशन के नोडल आफिसर राजेश मलिक
ने बताया कि डोर-टू-डोर कूड़ा उठान के टेंडर के चलते
कूड़ा उठान वाली गाड़ियों रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस
यानि आरएफडी से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि
शहर की गलियों के प्रवेश व निकासी के स्थानों पर यह
आरएफडी लगाई जा रही है। इसे गाड़ियों में स्कैनर से
लिंक किया जाएगा जिसके चलते उन्हें कार्यालय में बैठे-
बैठे ही कूड़ा उठान वाली गाड़ी के विभिन्न क्षेत्रों में जाने
व आने के समय का पता चल जाएगा। इसके अलावा
क्षेत्रवासियों द्वारा कूड़ा उठाने वाली गाड़ी न आने की
शिकायत मिलने पर उस क्षेत्र में गाड़ी पहुंची या नहीं
इसका पता भी चल सकेगा। उन्होंने बताया कि इस
दिशा में कार्य शुरू हो गया है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में
जाकर कर्मचारियों द्वारा गलियों के मुहाने पर आरएफडी
लगाए जा रहे हैं। इसके बाद गाड़ियों को इन डिवाइसों
से लिंक किया जाएगा। इस कार्य को पूर्ण करने में एक
से डेढ़ पखवाड़े का समय लग सकता है।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानि ग्रैप भी लागू :
मौसम में ठंडक घुलने लगी है। सर्दी में धुंध की समस्या के
चलते एयर क्वालिटी भी खराब होने लगती है। इस बार
प्रदूषण ने निपटने के लिए जिले में बीती एक अक्टूबर से
ग्रैप लागू किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के नोडल
अधिकारी राजेश मलिक ने बताया कि वायु प्रदूषण को
नियंत्रण के लिए लागू किए गए ग्रैप के अंतर्गत जहां
लोगों के कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध रहेगा वहीं एमरजेंसी
सेवाओं को छोड़ कर डीजल से चलने वाले जनरेटर की
भी मनाही रहेगी। उन्होंने आमजन के साथ-साथ बाजार
के दुकानदारों से कूड़ा न जलाने व अपनी दुकान के
आगे पानी का छिड़काव करने की बात कही है। उन्होंने
कहा कि कूड़ा जलाने वाले लोगों पर नजर रखने के
लिए निगरानी टीमों का गठन भी किया जा रहा है।