अगर आप भी मोटरसाइकिल, कार या अन्य कोई वाहन रखते हैं जोकि पेट्रोल, सीएनजी या डीजल पर चलता है तो कृप्या ध्यान दें। यह समाचार केवल आपके लिए ही है। अगर आप अपनी गाड़ी में सीएनजी, पेट्रोल या डीजल डलवाना चाहते हैं तो आपको वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र ( पीयूसी ) दिखाना होगा। अगर आपका पीयूसी अवैध पाई गई तो आपकी गाड़ी में ईंधन नहीं डाला जाएगा।
पेट्रोल पंप संचालकों को ये ही निर्देश जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक विभाग की ओर से जारी किए गए हैं। इसी विभाग के तहत प्रदेशभर में पेट्रोल पंपों का संचालन किया जाता है। सोनीपत में विभाग द्वारा जारी किए गए ये निर्देश जिले भर में स्थित सभी फ्यूल स्टेशन पर लागू होंगे। इतना ही नहीं आदेशों को 7 अक्टूबर से जारी करते हुए तत्काल लागू करने के भी निर्देश दिए गए हैं। जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा जारी पत्र संख्या 2896 के तहत जारी किए गए आदेशों में वायु प्रदूषण का हवाला दिया गया है। बताया गया है कि एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते ही हवा की सेहत को ठीक रखने के लिए ये आदेश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव के साथ हुई थी बैठक
बता दें कि 3 अक्टूबर को प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव ने बैठक ली थी। बैठक में सोनीपत के डीसी भी मौजूद रहे थे। बताया गया है कि इसी बैठक में एनसीआर में खराब होते वायु मानकों को देखते हुए कई सख्त निर्णय लिए गए थे। सभी संबंधित विभागों को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इन्हीं निर्देशों और पॉलिसी के बीच यह भी निर्देश दिए गए थे कि सोनीपत जिले में आने वाले सभी पेट्रोल पंपों पर केवल वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र वाले वाहनों को ही पेट्रोल-डीजल दिया जाएगा। विभाग द्वारा 7 अक्टूबर को ही पत्र भेजा गया है। विभाग द्वारा पत्र पेट्रोल पंप एसोसिएशन के जरिए सभी पेट्रोल पंप संचालकों को भेजा गया है। पेट्रोल पंप एसोसिएशन के कार्यालय पर पत्र भेजकर तुरंत सभी पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देशों से अवगत कराने के लिए कहा गया है।
निर्देश तो दे दिए, सवाल हैं बड़े
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आदेश तो शुक्रवार को ही प्राप्त हो गए और आदेशों के तहत पेट्रोल पंप संचालकों ने अपने कारिंदों को भी बोल दिया जांच करने के लिए। लेकिन मामला यहां अड़ जाता है कि फ्यूल डालने वाला एक कारिंदा क्या इतना समर्थ है जोकि वाहन चालकों के कागजात देख पाए। अगर कारिंदा कागजात नहीं देख पाएगा तो कौन देखेगा। दूसरा बड़ा सवाल ये है कि अगर कागजात मांगते समय किसी ग्राहक ने जालसाजी की तो उसका कारिंदे को कैसे पता लगेगा। क्योंकि आमतौर पर फ्यूल स्टेशन पर काम करने वाले कारिंदे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते। ऐसे में विभाग की यह रणनीति धरातल पर लागू करने में बड़ी परेशानी हो सकती है
कस्टमर पैसे देकर राजी नहीं, कागजात क्यों दिखाएगा
विभागीय निर्देश मिल गए हैं, जोकि सभी पंप संचालकों को भेज दिए गए हैं। बड़ी बात ये है कि फ्यूल डलवाने पर ग्राहक पैसे तो ढंग से देकर राजी नहीं होता वो कागजात क्यों दिखाएगा। हम किस कानून के तहत कागजात चैक कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि सभी पेट्रोल पंपों पर पुलिस की तैनाती की जाए और वो ही कागजात चैक करें।