हरियाणा जैसे प्रदेश से जहां, लड़कियों को लेकर कई सामाजिक बंदिशें देखने को मिलती रही हैं, वहां से पहले ही प्रयास में यूपीएससी निकाल लेना कोई छोटी बात नहीं है। इस मामले में निशा काफी लकी रहीं, घर वालों का सहयोग और निशा की मेहनत ने उन्हें उस मुकाम पर पहले ही प्रयास में सफलता दिला दी, जहां काफी प्रयासों के बाद भी कई लोग असफल रह जाते हैं
परिवार से मिला सहयोग- निशा के पिता बिजली विभाग में काम करते हैं और उनकी मां घरेलू महिला हैं। निशा शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और उसके दादाजी रामफल ने उसका बहुत साथ दिया। निशा राजनीति विज्ञान से ग्रेजुएट हैं। शुरू से हीं वो अपने लक्ष्य के बारे में बहुत स्पष्ट थी और यूपीएससी परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
शिक्षक दादा ने करवाई तैयारी-
घरवालों में उनके दादाजी ने निशा को काफी सपोर्ट किया। यूपीएससी निकालने के बाद निशा ने अपने दादा जी को ही क्रडिट दिया था। उनके दादा जी एक टीचर थे। निशा को जब पढ़ाने की बारी आई तो उन्होंने हर कदम पर निशा का साथ दिया। 24 घंटे उनके लिए वो शिक्षक की भूमिका में बने रहें। निशा की तैयारी बचपन से ही उनके नेतृत्व में चलने लगी थी। उनके दादाजी गणित के टीचर थे, गणित के अलावा उन्होंने बाकी विषयों पर भी उन्हें जानकारी मुहैया कराई।
ये थी पढ़ाई की रणनीति-
डीएनए के अनुसार निशा रोजाना करीब 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थीं। उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों से अपना बेस मजबूत किया। इसके बाद निशा ने स्टैंडर्ड बुक्स से तैयारी की। निशा कहती हैं कि अगर आपको तैयारी करने में दिक्कत हो रही है तो आप कोचिंग का सहारा ले सकते हैं। आप इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री से भी तैयारी कर सकते हैं।
पहले ही प्रयास में सफल-
निशा का मानना है कि अगर आप यूपीएससी की तैयारी करना चाहते हैं तो आपको बेहतर रणनीति के साथ लगातार आगे बढ़ना होगा। वह कहती हैं कि जब तक आप हर दिन इसके लिए प्रयास नहीं करेंगे, तब तक आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे। उनके अनुसार सफलता के लिए कड़ी मेहनत, सही रणनीति, अधिकतम रिवीजन, उत्तर लेखन का अभ्यास बहुत जरूरी है। निशा ग्रेवाल ने इन्हीं रणनीतियों के तहत अपनी पढाई की और यूपीएससी 2020 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 51वीं रैंक हासिल कर लीं।