हरियाणा में स्थित मंदिरों के बारे में जानने से पहले आइये हरियाणा के बारे में जान लेते हैं. हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ है। चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है जो पूरे भारत में अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। पंजाब से अलग होकर साल 1996 में हरियाणा बना। हरियाणा और चंडीगढ़ में प्राचीन काल के कई मंदिर हैं। इनमें भीमा देवी मंदिर, अग्रोहा धाम, भद्रकाली मंदिर आदि शामिल है। इसके अलावा सबसे खास वो मंदिर है जिसके नाम पर चंडीगढ़ का नाम पड़ा है।
भीमा देवी मंदिर
हरियाणा का भीमा देवी मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना गुर्जर प्रतिहारस के शासन काल में हुई थी। मंदिर के सामने ही पिंजौर गार्डन है जो कि मुगल गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। इस गार्डन की स्थापना औरंगजेब के सौतेले भाई ने की थी। कहा जाता है कि इस गार्डन को औरंगजेब के सौतेले भाई ने हिंदू मंदिरों को तोड़ने से बचाने के लिए बनवाया था। इतिहास बताता है कि 13वीं और 17 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई हिंदू मंदिरों को तुड़वा दिया था।
भीमा देवी मंदिर की स्थापना 8वीं से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच बताई जाती है। वहीं, इस मंदिर के सामने के पिंजौरी गार्डन की स्थापना इस मंदिर से कई सौ साल बाद हुई थी। पिंजौरी गार्डन को औरंगजेब के सौतले भाई ने बनवाया था। इस गार्डन को मुगल गार्डन के नाम से भी पुकारा जाता है। गार्डन की स्थापना 17वीं शताब्दी में हुई थी
अग्रोहा धाम
अग्रोहा धाम का बेहद धार्मिक महत्व है। यह धाम 8 साल में बनकर तैयार हुआ था। साल 1976 में इस धाम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था जो कि 1984 में पूरा हुआ। इस धाम के प्रवेश द्वार के बाहर दोनों साइड हाथी की मूर्तियां बनी हुई हैं। इस धाम में कई धार्मिक त्यौहारों को मनाया जाता है। धाम में आने वालों को एक खास तरह की आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास होता है।
भद्रकाली मंदिर
भद्रकाली मंदिर कुरुक्षेत्र जिले में है। इस मंदिर का बेहद धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। यह मंदिर हरियाणा का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ है, जहां भद्रकाली शक्ति के रूप में विराजमान है। वैसे तो हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मां के 52 शक्तिपीठ है लेकिन उनमें से यह एकमात्र सिद्ध शक्ति पीठ भद्रकाली मंदिर ही है। इसे श्री देवीकूप शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
भद्रकाली मंदिर का धार्मिक महत्व सती से जुड़ा हुआ है। सती के आत्मदाह के बाद जब भगवान शिव, सती की देह लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 52 हिस्से कर दिए। मां सती के शरीर के हिस्से जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। भद्रकाली शक्तिपीठ में देवी सती का दायां पैर गिरा था। देवी के सती के अलावा इस मंदिर की धार्मिक मान्यता भगवान कृष्ण से भी जुड़ी हुई है।
चंडी मंदिर
चंडी मंदिर हरियाणा का सबसे पुराना मंदिर है। यह मंदिर 5,100 साल से ज्यादा पुराना है। मंदिर चंडीगढ़-कालका-शिमला हाइवे पर स्थित है। मां चंडी को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। इसी मंदिर के नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा है। इस मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।