हरियाणा में आदर्श गांव योजना में बदलाव किया गया है और सांसदों व विधायकों के लिए गांव गोद लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि सांसदों व विधायकों द्वारा एक-दो गांव गोद लेने पर उनके क्षेत्र के बाकी गांव वाले नाराज हो जाते थे। सांसदों व विधायकों के लिए आदर्श ग्राम योजना की मद में लिया गया पैसा सिर्फ उन्हीं गांवों पर खर्च करने की बाध्यता है। इस समस्या को सांसदों व विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने रखा।
गांवों में बढ़ती पार्टीबाजी और विवादों के चलते उठाया गया कदम
सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके संसदीय तथा विधानसभा क्षेत्रों में सैकड़ों गांव होते हैं, लेकिन पैसा कुछ ही गांवों पर खर्च होने की वजह से समस्या बढ़ती जा रही है। गांवों में पार्टीबाजी पनपने लगी है और सांसदों व विधायकों का विरोध होने लगा है। उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी जाना है।
सांसदों व विधायकों ने मुख्यमंत्री के सामने प्रस्ताव रखा कि उन्हें जो भी पैसा मिलेगा, वह एक या दो गांवों पर खर्च करने की बजाय उस पैसे को सभी गांवों में बराबर हिस्से में खर्च करेंगे। इससे सब खुश रहेंगे और समान विकास कार्य हो सकेंगे। पार्टीबाजी भी खत्म करने में मदद मिलेगी तथा चुनाव में उन्हें किसी गांव का विरोध नहीं झेलना पड़ेगा।
सीएम ने माना प्रस्ताव, अब सभी गांवों में बराबर खर्च की जाएगी आदर्श ग्राम योजना की राशि
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सांसदों व विधायकों के इस प्रस्ताव पर सहमति जताई। सांसदों को पांच करोड़ रुपये और विधायकों को दो करोड़ रुपये का अनुदान मिलता है। भाजपा के दस सांसदों व चार राज्यसभा सदस्यों ने अब तक 83 गांव गोद लिए थे, जिनमें 67 प्रतिशत काम पूरे हो चुके हैं। हालांकि बचे हुए काम स्पेशल ग्रांट की बजाय अब उसी राशि में कराए जाएंगे, जो सांसदों व विधायकों को सभी गांवों के विकास के लिए मिलेगी। गांव गोद लेने की योजना में हरियाणा का देश में आठवां और उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा नंबर है।
सांसदों व विधायकों की बजाय गांवों को गोद लेने की जिम्मेदारी क्लास वन अधिकारियों को दी
मुख्यमंत्री ने अब गांवों को गोद लेने की जिम्मेदारी प्रथम श्रेणी अधिकारियों को प्रदान कर दी है। डाक्टरों को इससे अलग रखा गया है। राज्य में 6225 गांव हैं, जिन्हें प्रथम श्रेणी अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया है। ग्राम संरक्षक योजना के तहत अधिकारियों को यह गांव गोद दिए गए हैं।
अगले एक पखवाड़े के भीतर मुख्यमंत्री मनोहर लाल वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये इन सभी क्लास वन अधिकारियों से संवाद कर गांवों के विकास की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि अधिकारियों से कहा गया है कि वह अवकाश के दिन इन गांवों की देखभाल करें और उनमें विकास कार्य कराते हुए उनकी नियमित रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करें