इसे संयोग कहें, चमत्कार कहें या फिर किस्मत…नाम चाहें कुछ भी दे दीजिए, लेकिन है तो ये एक अनूठी मिसाल ही. ये कहानी एक परिवार की तीन बहनों की है. कहानी नहीं, बल्कि ऐसी हकीकत कहिए जिस पर आसानी से विश्वास तक न हो. हम बात कर रहे हैं तीन सगी बहनों केशानी, मीनाक्षी और उर्वशी की. वो बहनें जिन्होंने न केवल आईएएस परीक्षा पास की बल्कि तीनों ही हरियाणा की मुख्य सचिव की कुर्सी तक भी पहुंचने में कामयाब रहीं. आइए पढ़ते हैं तीन बहनों की सफलता के इस अद्भुत प्रेरणादायक सफर के बारे में.
तीनों बहनें रह चुकी हैं हरियाणा की मुख्य सचिव
रिपोर्ट के अनुसार, केशानी आनंद अरोड़ा, मीनाक्षी चौधरी और उर्वशी गुलाटी पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए जेसी आनंद की बेटियां हैं. केशानी फिलहाल हरियाणा की मुख्य सचिव हैं. और दिलचस्प बात ये है कि ऐसा करने वाली वो जेसी आनंद की तीसरी बेटी हैं. केशानी से पहले मीनाक्षी और उर्वशी भी हरियाणा की मुख्य सचिव पद पर रह चुकी हैं.
केशानी आनंद अरोड़ा
पिछले साल 30 जून को हरियाणा की मुख्य सचिव का पद हासिल करने वाली केशानी 1983 बैच की आईएएस अफसर हैं. हरियाणा की कुल 33वीं और पांचवीं महिला मुख्य सचिव केशानी 30 सितंबर 2020 तक इस पद पर रहेंगी. इन तीन बहनों के अलावा हरियाणा की दो और महिला मुख्य सचिव प्रोमिला ईस्सर और शकुंतला जाखू हैं. जहां प्रोमिला साल 2007—08 में इस पद पर रहीं, वहीं शकुंतला ने 2014 में ये जिम्मेदारी संभाली. केशानी का जन्म 20 सितंबर 1960 को पंजाब में हुआ. राजनीति विज्ञान से एमए व एमफिल करने वाली केशानी अपने बैच की टॉपर रहीं. वह हरियाणा कैडर के 1983 आईएएस बैच की टॉपर भी रहीं. केशानी ने आस्ट्रेलिया स्थित सिडनी से एमबीए की डिग्री ली.यहां तक कि हरियाणा राज्य अस्तित्व में आने पर 16 अप्रैल 1990 को वह प्रदेश की पहली महिला उपायुक्त भी बनीं.
मीनाक्षी चौधरी
तीनों बहनों में सबसे पहले मीनाक्षी ने हरियाणा के मुख्य सचिव पद तक का सफर तय किया था. उन्हीं के बाद दोनों बहनें उर्वशी और केशानी इस पद पर काबिज हुईं. मीनाक्षी ने 8 नवंबर 2005 से लेकर 30 अप्रैल 2006 तक इस जिम्मेदारी का बखूबी निवर्हन किया. मीनाक्षी 1969 बैच की आईएएस अफसर हैं.
उर्वशी गुलाटी
तीनों बहनों में मीनाक्षी के बाद उर्वशी गुलाटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी निभाई. 1975 बैच की आईएएस अफसर उर्वशी का कार्यकाल 31 अक्टूबर 2009 से शुरू हुआ था. इसके बाद वह साल 2012 में 31 मार्च तक इस पद पर कायम रहीं.