हिसार के गांव ढंढूर निवासी मलकीत सिंह। उम्र 32 साल। दिनभर मजदूरी के काम में व्यस्त रहने वाला व्यक्ति। जिसने अपनी जरूरत और रुचि को ध्यान में रखते हुए अपनी साइकिल को नया लुक देने की सोची। यू-ट्यूब पर कई आइडिये तलाशे। आखिरकार साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने के लिए प्रयास शुरू किए। 15 दिन की कड़ी मेहनत की। 25 हजार रूपये खर्चे और तैयार कर दी इलेक्ट्रिक साइकिल।
मजदूरी करने अपनी बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल से जाता है मलकीत
इस साइकिल को देखकर ग्रामीण से लेकर आमजन तक मलकीत के कार्य की तारीफ करते नजर आते हैं। मलकीत सिंह प्रतिदिन गांव ढंढूर से शहर में इंडस्ट्रीयल एरिया में मजदूरी के लिए इसी इलेक्ट्रिक साइकिल पर आता है जो उनकी शान की सवारी बनी हुई है। गरीबी के कारण आठवीं तक की पढ़ाई ही कर सका
मलकीत सिंह ने बताया कि वह गरीब परिवार से है। पत्नी गृहिणी है और एक बेटा व एक बेटी है। मेरी बचपन से ही कुछ अलग करने में रुचि थी। गरीबी के कारण केवल आठवीं तक ही पढ़ाई कर पाया। परिवार की जिम्मेदारी के चलते मजदूरी करने लगा लेकिन दिन में कुछ अलग करने की चाह हमेशा रही। यू-ट्यूब पर देखकर मैंने विक्की में बैटरी लगाकर उसे इलेक्ट्रिक स्कूटी की तरफ चलाने का प्रयास किया लेकिन उसका वजन अधिक हाेने के कारण वह 20 किलामीटर से अधिक का सफर एक बार में तय नहीं कर पाई।
ऐसे बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल
ऐसे में मैंने साइकिल में बैटरी लगाकर उसे इलेक्ट्रिक रूप दिया। बैटरियां दिखाई न दे इसके लिए दोनों तरफ लोहे के पतरे लगाए। सामने लाइट लगाई और साइकिल को इलेक्ट्रिक स्वरूप दे दिया। 25 हजार के खर्च में साइकिल प्रतिदिन एक बार चार्ज करने पर 50 किलोमीटर तक चलती है। इसमें चार स्कूटी की बैटरी लगाई हुई है। साइकिल 50 की स्पीड पर फुल चार्ज होने पर 50 किलोमीटर तक चलती है। इस साइकिल को बनाने में मेरे बेटे ने मेरी मदद की।