दिनों दिन बढ़ते कूड़े की समस्या को देखते हुए अंबाला
नगर परिषद सदर क्षेत्र ने एक उपाय निकाला है, जिस से इस कूड़े का पुनः उपयोग किया जाएगा। अब से कूड़े में निकलने वाली प्लास्टिक की बोतलों और कांच की टुकड़ों से चूड़ियां बनाए जाएंगे।

चूड़ियां बनाने के लिए यह कूड़ा उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में जुड़े बनाने वाली फैक्ट्रियों को भेजा जाएगा। अंबाला के
नगर परिषद के मुताबिक़ रोजाना हर घर से करीब 110 टन सूख और गीला कचरा इकठ्ठा होता है, जो सफाई टीमें डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचती है। इस कूड़े में शीशी, बोतल और कांच के टुकड़ों के साथ ही बहुत सा समान होता है।
जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल छावनी में भगत जी ट्रेडिंग कंपनी को स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत कूड़े और कचरे के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है। जिसमें मे रोजाना डोर टू डोर कूड़े का कलेक्शन करते हैं। कूड़ा कलेक्शन के बाद के वे इस मे से गत्ता,थर्माकोल, प्लास्टिक,कांच,लोहा और टीन को अलग अलग करके बेचते हैं।

इसके अलावा फिलहाल अंबाला में कूड़े और कचरे से शीशी और बोतलों को अलग करने का काम चल रहा है।
इनके इकठ्ठा होने के बाद करीब 30 टन शीशी और बोतलो को उत्तर प्रदेश के फिरोजबाद में चूड़ियां बनाने वाली फैक्ट्रियों को भेजा जाएगा। जिसके बाद फैक्ट्री चूड़ियां बनाकर बाजार में भेजेगी।
जानकारी के लिए बता दें कि कूड़े कचरे से निकलने वाली शीशी और बोतलों को भगतजी ट्रेडिंग 3 सौ रुपये कुंटल में बेचेगी।
रोजाना इतना मिलता हैं कूड़ा
टीन – 45 से 50 किलो
थर्माकोल – 15 से 20 किलो
कांच – 80 से 90 किलो
पालीथिन- 2 से 3 कुंटल
बोतलें – 25 से 27 किलो
प्लास्टिक – 70 से 80 किलो
गत्ता – 125 से 130 किलो