आज के समय में बेटियां कामयाबी हासिल करने में लड़को से आगे निकल रहीं हैं। वह चाहे पढ़ाई लिखाई हो, नौकरी पेशा हो या खेल कूद हो सब मे वे लड़को से आगे निकल रहीं हैं। वे देश के अलावा विदेश में भी अपने नाम का झंडा फहरा रही है।

ठीक एक ऐसी ही बेटी है हरियाणा कि जिन्होंने हरियाणा के करनाल से लेकर आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा तक नारी सशक्तिकरण की प्रेरक परिभाषा लिखी और अपने नाम का परचम लहराया। यह कोई और नहीं बल्कि 23 साल की संजोली है, जिन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित डायना पुरस्कार मिल चुका है।
बता दें कि इस पुरस्कार को प्रिंसेज आफ वेल्स डायना की स्मृति में दिया जाता है।इस पुरस्कार के अलावा वह जर्मनी में यंग ग्लोबल चेंज मेकर अवार्ड,भारत में युवा व खेल मंत्रालय की ओर से वालंटियर अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी है। यह पुरस्कार उन्हें समानता,महिला सशक्तिकरण, कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण संरक्षण, उत्तम व सर्वसुलभ शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वच्छता सहित विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता के लिए मिले हैं।

इसके साथ ही वह डेढ़ साल में तीन बार अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हो चुकी है।इन पुरस्कारों के साथ ही वह 20 वर्ष की आयु में आस्ट्रेलियाई की फेडरल संसद में एक दिन की पार्लियामेंट सदस्य भी बन चुकी है।जोकि बहुत ही ज्यादा गर्व की बात है।
जानकारी के लिए बता दें कि संजोली ने साल 2016 में उन्होंने पूरे हरियाणा में 12वीं टॉप किया है। जिसके बाद नेशनल यूनिवर्सिटी कैनबरा में पढ़ रही हैं। यह युनिवर्सिटी वर्ल्ड मे आठवीं रैंकिंग पर आती है। उनके पिता मिहिर बनर्जी और मां गगन बनर्जी शिक्षक हैं।