कहते हैं कि एक मकान घर जब बनता है, जब उस मकान में एक औरत हो। एक औरत खंडर को घर बना सकती है और घर को खंडर। वह अकले अपने दम पर अपना घर भी संभाल सकती है, नारी शक्ति की तो बात ही अलग है। ठीक ऐसी ही नारी शक्ति की मिसाल बनी है, हरियाणा की बिमला सैनी।
बिमला सैनी हरियाणा के गांव किराड़ा की रहने वाली है। वह किराड़ा गांव की पूर्व महिला सरपंच भी है। उन्होंने अपने दम पर अपने बच्चों को पाला पोसा है। क्योंकि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि बिमला सैनी की शादी सन 1977 में 11 साल की उम्र में हुई थी, शादी के बाद उन्होंने 2 बेटों और एक बेटी के जन्म दिया। लेकिन कुछ साल बाद उनके पति का निधन हो गया, जिसने बिमला को पूरी तरह से तोड़ दिया।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सर पर मर्दों कि तरह सर पर चुन्नी बांधकर वे सभी काम किए जो एक आदमी करता है। यहां तक की उन्होंने ट्रैक्टर से खेतों की जुताई भी की है।बिमला ज्यादा पढ़ी लिखी नही है, लेकिन फिर भी उन्होंने पढ़ने के लिए खेती के काम में से समय निकाला और अक्षरों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा। उन्होंने अपने नाम के हस्ताक्षर भी करने सीखे।
इसके अलावा उन्होंने गांव में किसानों की समस्या,पानी की समस्या,बिजली की समस्या और बेटियों की शिक्षा को बढ़ाने की बात को बिना किसी से डरे जोर शोर से उठाया। गांव के प्रति उनके इस लगाव और निडरता को देखते हुए गांव वालों ने उन्हें 2010 में गांव का सरपंच बनाया था।

बिमला ने सरपंच बनकर पूरे गांव का अच्छे से विकास किया और अपने कार्यकाल में गांव का एक भी विवाद थाने तक नहीं जानें दिया, उसका वहीं पंचायत में हल किया।
अब गांव वालों ने एक बार फिर 2022 के चुनावो के लिए उनके सभी विकास कार्यों को देखते हुए गांव किराडा की सरपंची बिमला सैनी के बेटे अजय सैनी के हाथों में सौप दी।
अजय सैनी ने गांव वालों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि,
“सभी ग्रामवासियों के सहयोग से भाईचारे को कायम रखते हुए बहुत जल्द ही सभी कामों को निर्धारित समय पर पूरा किया जाएगा।”