हरियाणा के प्रत्येक जिले,शहर और गांव के लोगों ने राष्ट्र की भावना से ओत पोत होकर गणतंत्र दिवस पर देश का राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा फहराया गया। लेकिन इसी बीच प्रदेश के भिवानी जिले के रोहनात गांव के लोगों ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडारोहण नहीं करने का फैसला कर लिया।

क्योंकि इस गांव के ग्रामीण बहुत सी समस्याओं से परेशान है, इन समस्याओं की वजह कोई और नहीं बल्कि सरकार है। इस गांव के ग्रामीणों की कुछ मांगे हैं जो कि सरकार ने अभी तक पूरी नहीं की है, इसी वजह से यहां के ग्रामीण सरकार से नाराज है।
दरअसल यहां के लोग पिछले साढ़े पांच महीनों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार उनके गांव रोहनात को उनकी खोई जमीन और शहीद गांव का दर्जा दे दे। बता दें कि यह शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हैं। सरकार द्वारा इनकी मांगे पूरी न होने की वजह से गांव के लोग पिछले साढ़े पांच महीनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं।

गांव रोहनात में धरना कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि,”हमने 10 अगस्त 2022 से अनिश्चितकालीन धरना चलाया हुआ है। इस धरने में गांव के संतलाल की मृत्यु भी हो गईं हैं।
संतलाल की मृत्यु होने पर सरकार ने मृतक के परिजनों को 12 लाख रूपए की आर्थिक मदद और एक सरकारी नौकरी देने की लिखित में हां भरी थी। लेकिन मृतक के परिवार वालों को सिर्फ छह लाख रूपए ही मिले हैं, छह लाख की मदद और नौकरी अभी तक नहीं दी है।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह वहीं रोहनात गांव हैं, जिसे 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो ने तोपों से उड़ाकर तहस नहस कर दिया था। उस समय अंग्रेजो ने इस गांव के लोगों को भी बंदी बनाकर हांसी की सड़क पर रोड रोलर के नीचे कुचल कर मार दिया था। हांसी की की इस सड़क को आज लाल सड़क के नाम से जाना जाता है।

इतना ही नहीं 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रोहनात के लोगों ने अंग्रेजो से लोहा लेते हुए बहादुर शाह जफर के आदेश पर 29 मई 1857 के दिन अंग्रेजो की जेल तोड़कर कैदियों को आजाद करवाया था। ग्रामीण महिलाएं भी अपनी लाज बचाने के लिए बच्चों के साथ गांव के ऐतिहासिक कुएं में कूद गई थी।
देश के लिए अपना सब कुछ त्याग देने के बाद भी इस गांव को अभी तक शहीद गांव का दर्जा नहीं मिला है। अब तो इस गांव के लोग अपने आप को गुलाम तक समझने लगे हैं।