लोगो को लगता है कि आज के समय में ऐक्टिंग ऑडिशन देना काफी मुश्किल है। और बहुत लोगो को ये भी लगता था कि पहले के टाइम पर मूवी के ऑडिशन बड़े ही आसान होते थे और आज जितना स्ट्रगल नही होता होगा। लेकिन ऐसा नही है पहले के टाइम पर लड़कियों को जैसे ऑडिशन देना पड़ता था उसे जानकर हैरान हो जाएंगे आप। चलिए जानते है 1951 के टाइम पर लड़कियों का ऑडिशन कैसा होता है।
कास्टिंग टीम नही ये लेते थे ऑडिशन

आपको जानकर हैरानी होगी की पहले के दौर में ऑडिशन लेने के लिए कोई कास्टिंग टीम नही होती बल्कि खुद डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ही एक्ट्रेस का ऑडिशन लेते थे। इन तस्वीरों में जाने-माने निर्देशक अब्दुल राशिद करदार लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट ले रहे हैं। ये ऑडिशन बिलकुल भी आसान नहीं होता था इसमें कई सारे राउंड्स होते थे जिसे क्लियर करना बहुत कठिन था।
डायरेक्टर के सामने करती थी कपड़े चेंज

उस दौर में लड़कियों को कोई वैनिटी वैन नहीं दिया जाता था जिसमे वो तैयार हो सके और न ही घर से तैयार होके आने की अनुमति थी। लड़कियों को डायरेक्टर के सामने ही सारी पहननी पड़ती थी और उन्ही के सामने तैयार होना पड़ता था। इसी के साथ डायरेक्टर लड़कियों के पूरे लुक को चेक करते थे।
इन चीजों का खास ध्यान

पहले के जमाने में लड़कियों से ना केवल एक्टिंग के लिए ऑडिशन लिया जाता था, बल्कि उनकी बारीकी से हर एक चीजों की जांच की जाती थी। जैसे कि उनका हेयर स्टाइल कैसा है और उनके बॉडी लैंग्वेज को भी परख कर ही उन्हें ऑडिशन में पास किया जाता था।
हिम्मत और कॉन्फिडेंस था जरूरी

पहले के जमाने में लड़कियों मे उनका आत्मविश्वास और हिम्मत होना जरूरी होता था। अगर कोई लड़की हर भूमिका करने को तैयार है और उसमें कॉन्फिडेंस है तो उसे ही सिलेक्ट किया जाता था। इसी के साथ साड़ी पहनने के बाद वेस्टर्न कपड़े में भी कंफर्टेबल रहना होता था।
सवालों के देने होते थे जवाब

ऑडिशन में सिलेक्ट होने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं था। लड़कियों को डायरेक्टर के पैरामीटर के अनुकूल ही उतरना होता था। और यहां तक कि डायरेक्टर के कुछ सवालों का सही जवाब देना होता था। सबसे बड़ी बात यह थी तो उस समय में एक साथ कई लड़कियों के ऑडिशन होते थे जिसमें से कोई एक ही सिलेक्ट होती थी।