औरत एक ऐसी मनुष्य है जो किसी भी कठिन परिस्थिति में घुटनें नहीं टेकती। वह हर कठिन से कठिन परिस्थिति में भी जीना सीख लेती है, जैसे हरियाणा के गांव नुहियांवाली की रहने वाली 45 वर्षीय राजबाला ने कठिन परिस्थिति होते हुए भी अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी। उनकी मेहनत और जज्बे की कहानी आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं है।
दरअसल राजबाला के पति मदन लाल 17 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। दुर्घटना मे वह इस कदर घायल हुए की वह हाथों-पैरों से दिव्यांग हो गए। उनकी इस हालत के बाद से उनके घर की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से बिगड़ गई। बीमार पति और बिखरे हुए घर को संभालना राजबाला के लिए चुनौती सी बन गई थी।
लेकिन इस कठिन चुनौती मे भी राजबाला ने हार नहीं मानी और अपने परिवार को अच्छे से संभाला। राजबाला ने मेहनत मजदूरी करके अपने दोनों बेटों को पढ़ाया। उन्होंने बेटों को सिर्फ़ पढ़ाया ही नहीं बल्कि अच्छे संस्कार भी दिए।
उनके बेटों ने पढ़ते हुए भी अपनी मां का हाथ बटाया। बता दें कि राजबाला के पति मदन लाल पेशे से एक अच्छे फर्नीचर कारीगर थे।
राजबाला ने अपने जीवन की संघर्ष भरी हुई कहानी सुनाते हुए बताया कि,” उसने कभी हार न मानते हुए पशुओं का दूध बेचा और लोगों के खेतों में मजदूरी करके पाई-पाई जोड़ी और बेटों की पढ़ाई-लिखाई व घर का खर्च चलाया। उसकेे दोनों बेटों प्रवीण व सोनू की इच्छा थी कि वे आर्मी में जाएं। उन्होंने अपने दोनों बेटों का सपना पूरा किया।”
इसी के साथ उन्होने बताया कि,”जीवन में सुख-दुख, तकलीफें और बुरा वक्त इंसान की परीक्षा लेने आता है। लेकिन ऐसे मेेें हमें हौसला नहीं खोना चाहिए। जीवन में अगर एक रास्ता बंद होता है तो,दूसरा रास्ता भी खुल जाता है।”
अपनी मेहनत और जज्बे की वजह से राजबाला आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। उनके परिवार और उनके गांव को उन पर नाज है।