हरियाणा सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए हर संभव प्रयास करता ही रहता है। जिससे कि बेरोजगारी को कम किया जा सके और रोजगार को बढ़ाया जा सके। ऐसे में हरियाणा सरकार ने ड्रोन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है और साथ में फूस गढ़ स्थित सामुदायिक केंद्र भवन में रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन स्थापित कर दिया है।
जानकारी के अनुसार इस ऑर्गेनाइजेशन ने नए वृत्तीय साल यानी कि 1 अप्रैल 2023 से काम भी शुरू कर दिया है। यह हरियाणा की पहली सरकारी आरपीटीओ है। यहां हर वर्ष करीब 500 युवाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
बता दे, ड्रोन का प्रयोग देश व प्रदेश की सुरक्षा से लेकर अब खेत खलियान ओं तक होने लगा है। पिछले दो-तीन सालों से किसानों में ड्रोन का उपयोग को सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। यही कारण है कि विभिन्न कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों, अनुसाधन संस्थानों में इसका प्रदर्शन किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार हाल ही में करनाल की महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान अटारी क्षेत्र में सर्वाधिक 700 एकड़ में नैनो यूरिया, डीएपी, रसायनों की छिड़काव सभी फसलों पर करने में प्रथम पुरस्कार मिला है।
जो अब आने वाला आधुनिक समय है वह ड्रोन का है। इसलिए हरियाणा सरकार ने एक संस्था हरस्या यानी ड्रोन इमेजिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड का गठन किया है।
आपको बता दें, यही संस्था करनाल में स्थापित आरपीटीओ का संचालन भी करेगी। 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक आरपीटीओ करनाल के करीब 500 युवाओं को ट्रेनिंग देकर ड्रोन पायलट बनाने का लक्ष्य रखा है।
अभी आरपीटीओओ के पास दो ड्रोन उपलब्ध हो गए हैं। इसको संचालित करने वाले चेयरमैन सीएम मनोहर लाल हैं। जबकि भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त अधिकारी विंग कमांडर गिरिराज पूनिया को इसका सीईओ बनाया गया है।
इस के प्रबंध निदेशक के लिए आई ए एस टी एल सत्यप्रकाश को नियुक्त किया गया है। ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण लेने के लिए युवाओं को मैट्रिक पास होना जरूरी है। इसके लिए उनके आधार कार्ड, पासपोर्ट फोटो भी जरूरी है।
इसकी आयु सीमा 18 से 65 वर्ष के बीच में रखी गई है। जो भी इच्छुक युवा है उनको अपना पंजीकरण कराना होगा। कृषि क्षेत्र में खाद से लेकर कीटनाशक छिड़काव में लगातार ड्रोन की मांग बढ़ रही है।
इसके अलावा टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र, खनन क्षेत्र, नेशनल हाईवे और स्वास्थ्य सेवाओं में भी ड्रोन का उपयोग बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण क्षेत्रों में प्रशिक्षित ड्रोन पायलट की मांग भी बढ़ती जा रही है।