भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल परीक्षा है। उसे क्लियर करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। अगर हम कुछ भी ठान ले, तो हमारे लिए कुछ भी चीज मुश्किल नहीं होती। ऐसा ही इस लड़की ने जब आईपीएस बनने का ठाना तो पढ़ाई का तरीका ऐसा चुना की उसको सुनकर आप दंग रह जाएंगे। आइए जानते हैं।
अगर हम मन में एक निश्चय कर ले तो हमारे लिए किसी भी मंजिल तक पहुंचना मुश्किल बात नहीं है। ऐसे ही कुछ यूपीएससी सिविल परीक्षा 2017 की सेकंड टॉपर सोनीपत के विकासनगर की अनु कुमारी ने करके दिखाया। अनु ने आईपीएस बनने का सपना बचपन में देखा था। लेकिन यह सपना उसने शादी होने के बाद और एक बच्चा होने के बाद पूरा किया।
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अनु कुमारी ने शादी होने के बाद भी हार नहीं मानी। परिवार ने भी उसे सहयोग किया और उसका सपना पूरे करने के लिए एक कदम बढ़ाया। उसने अपनी नौकरी छोड़ी, ढाई साल के बेटे को मां के पास छोड़ा और खुद मौसी के घर रहकर पढ़ाई की। करीब ढाई साल के लिए उसने अपनी ममता भुलाई। लेकिन जो करने की ठानी थी, उसे पूरा करके ही छोड़ा।
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अगर बात करें अनु के निजी जिंदगी की तो उनके पिता बलजीत सिंह मूल रुप से पानीपत के दीवाना गांव के रहने वाले हैं। लेकिन वह कई साल पहले हॉस्पिटल में एचआर की नौकरी करने के कारण सोनीपत के विकास नगर में आकर रहने लगे। अनु ने अपनी बारवी तक की पढ़ाई सोनीपत के स्कूल से कि है और उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज की फिजिक्स ओनर्स किया।
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अनु ने आईएमटी नागपुर से एमबीए भी की है। अनु पिछले 9 साल से गुड़गांव में एक प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी कर रही थी और उसके साथ-साथ एग्जाम की तैयारी भी की। लेकिन 2 साल पहले उन्होंने एग्जाम की तैयारी के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी।
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वह बताती हैं उन्होंने पहले भी यूपीएससी का प्री एग्जाम दिया था। लेकिन उस समय एग्जाम का सिर्फ तरीका देखा था। उसके बाद उन्होंने पूरे ढंग से एग्जाम की तैयारी की।
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अनु ने आगे बताया कि उनकी नौकरी काफी अच्छी थी, लेकिन उन्हें उससे संतुष्टि नहीं मिल रही थी। वह लोगों के लिए कुछ नहीं करना चाहती थी इसलिए उन्होंने यूपीएससी क्लियर करने की ठानी। उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली उन्होंने खुद से पढ़ाई करके यह मुकाम हासिल किया।
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अनु ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी रोल मॉडल अपनी मां को बनाया है। और अपनी पूरी कामयाबी का श्रेय भी उन्हें ही देती है। तैयारी के दौरान उन्हें बहुत मुश्किलें आए लेकिन उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट मिला।
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दोस्त भी हमेशा साथ ही रहते थे। तैयारी में भी उन्होंने बहुत साथ दिया। निरंतर उनका हौसला बढ़ाया। उनके अंदर की ममता जागती थी, तो उन्हें बहुत तकलीफ होती थी। लेकिन अपने लक्ष्य से वह पीछे नहीं हटी।
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अनु हमेशा self-study ही करती थी। ड्यू से बीएससी की हुई थी। उन्हें बहुत नॉलेज थी। पढ़ाई छोड़े हुए भी उन्हें काफी समय हो गया था। स्पेशल टॉपिक बनाकर वह अभ्यास करती थी। ऑनलाइन स्टडी भी करती थी। इसलिए उन्हें कभी मुश्किल नहीं हुई कामयाबी का तो उन्हें पूरा भरोसा था ही, लेकिन रैंक के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था। जब देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया तो उन्हें बहुत खुशी हुई।
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अनु बताती हैं कि हर किसी का जीवन में एक लक्ष्य जरूर होना चाहिए, कुछ ऐसा कि जिससे खुद के साथ अपने समाज के लिए भी कुछ कर सकें। कोई भी लक्ष्य तब तक मुश्किल है जब तक उसे ईमानदारी से हासिल करने की कोशिश नहीं हो। लक्ष्य को लेकर कोशिश निरंतर करो, असफलता को भी सफलता पाने का एक स्टेप समझो। खुद पर भरोसा हमेशा रखना चाहिए।