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हरियाणा के इस जिले में स्थित है एशिया की सबसे ऊंची हनुमान जी की एकमात्र प्रतिमा, जाने पूरा इतिहास

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आज के समय में पवन पुत्र हनुमान  युवाओं की बहुत बड़ी प्रेरणा बने हुए हैं। खासतौर पर युवा बजरंगबली जी की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से बल, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। आज हम आपको एशिया की सबसे ऊंची हनुमान जी की मूर्ति का दर्शन कराने वाले हैं।

बता दें, यह मूर्ति फरीदाबाद में अरावली पहाड़ियों के बीच गुरुग्राम रोड पर स्थित है। यह विशाल प्रतिमा त्रिवेणी हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मूर्ति की ऊंचाई 111 फीट है। यह एशिया में 111 फीट ऊंची विराजमान हनुमानजी की एकमात्र प्रतिमा है। त्रिवेणी हनुमान जी के नाम से विख्यात हनुमान जी की यह मूर्ति पूरे दिल्ली एनसीआर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

यहां पर हर मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। रोजाना दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या भी यहां बढ़ती जा रही है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी से जो कुछ मांगा जाता है वह उसे जरूर पूरा करते हैं। उसके दर्शन मात्र से लोगों के संकट दूर हो जाते हैं। यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ निराश नहीं लौटता।

यह मूर्ति हनुमान जी की बैठी हुई मूर्ति है। पुजारी खेमचंद ने बताया कि यह मूर्ति की ऊंचाई 111 फीट है, जो एशिया की सबसे बड़ी बैठी हुई मूर्ति मानी जाती है। इस मूर्ति का निर्माण कार्य 2010 में शुरू हुआ और 2017 तक चला। राजस्थान के कलाकारों ने इस मूर्ति का निर्माण किया।

पुजारी जी का यह भी कहना है कि मूर्ति को बनाने में काफी खर्चा हुआ। लेकिन यह भी भक्तों ने ही किया है। किसी ने धूल, किसी ने कंकड़, किसी ने ईट, तो किसी ने सरकंडा देकर इस मूर्ति की स्थापना में योगदान दिया। जिसे विश्वास था उसने आकर मूर्ति बनाने में सहयोग किया और देखते ही देखते हनुमान जी की प्रतिमा बन गई।

सिर्फ दिल्ली एनसीआर के ही नहीं देश के अलग-अलग राज्यों से भी यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। लोगों का मानना है कि यहां आते ही उन्हें अद्भुत शक्तियों का अनुभव होता है और उनकी सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।

जहां यह मूर्ति स्थित है उस सुनसान इलाके से लोग आने जाने से पहले डरते थे। लेकिन जब से हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना यहां पर हुई है वहां पर लोगों का आना जाना लगा रहता है।

अभी तक इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं किया गया है और बहुत से लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं है। अगर सरकार इस दिशा में और काम करें तो यह जगह पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन सकती है।

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