आज के समय में किसान बहुत ही ज्यादा परेशान है। बात करें, टमाटर की खेती की तो किसानों का इस मामले में इस साल बहुत बुरा हाल है। बाजार में किसानों को अब अपनी उपज पर खरीदार भी मिलने बंद हो गए हैं। ओलावृष्टि की वजह से टमाटर के रेट में बहुत ज्यादा गिरावट आई है।
बता दे, किसान मुनाफा कमाने की सोच रहे थे लेकिन अब वह और भी घाटे में चले गए हैं। रेड इतना ज्यादा गिर गया है कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। ऐसे में मजबूरन किसानों को अपनी फसल को फेंकना पड़ रहा है।

हरियाणा में सबसे बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती चरखी दादरी क्षेत्र में की जाती है। बीते दिन बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, जिस वजह से किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा।

ओलावृष्टि के कारण टमाटर की गुणवत्ता में बहुत कमी आई है। अब टमाटर की सही कीमत ना मिलने की वजह से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। ऐसे में किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

अगर टमाटर उत्पाद किसानों की मानी जाए तो टमाटर की फसल लगाने के लिए प्रति एकड़ करीब ₹30000 की लागत लगती है और मार्केट में उन्हें प्रति किलो सिर्फ ₹4 मिल रहे हैं। कई बार तो मंडी में उनका टमाटर खरीदा ही नहीं जाता।

उन्होंने आगे बताया, ऐसे में किसान सड़क पर टमाटर फेंकने के लिए मजबूर हो रहा है। किसानों की मांग यह है कि सरकार जल्द से जल्द गिरदावरी करवाकर टमाटर उत्पादक किसानों को उचित मुआवजा दें।

कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि के कारण टमाटर की खेती पर भी व्यापक असर पड़ा है। कीड़े के प्रकोप के चलते भी इसके उत्पादन में कमी आई है। हालांकि कृषि विभाग द्वारा फसल खराब होने की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।