आज के समय में सबसे ज्यादा लड़ाइयां मजहब के नाम पर होती हैं। कहीं भी हम देख देख लें हिंदू मुस्लिम की लड़ाईयों के किस्से ही सुनते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा किस्सा सुनाने वाले हैं जिसमें हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक मिसाल कायम हुई है।
बता दे, यह किस्सा हरियाणा के चरखी दादरी जिले से आया है। जहां पर हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल का एक नया रूप सामने देखने को मिला है। मूल रूप से उत्तराखंड निवासी लक्ष्मण सिंह पिछले 30 सालों से चरखी दादरी में रह रहे हैं।
लक्ष्मण की बेटी रितु कि रविवार को शादी थी। लेकिन लक्ष्मण के साले का एन वक्त पर ऐसी मजबूरी आई कि वह भात भरने के लिए नहीं पहुंच पाया। ऐसे में 22 साल पहले धर्म भाई बने इस्लाम ने सभी हिंदू रीति-रिवाजों को निभाते हुए रितु का भात भरा। दो धर्म के लोगों के बीच भाईचारे की मिसाल को हर कोई सराहनीय कर रहा है।
रितु के पिता ने बताया कि, 23 अप्रैल को उनकी बेटी की शादी थी लेकिन किसी कारण से उनका साला भात भरने के लिए नहीं आ पाया। उनकी पत्नी ने 22 साल पहले मुस्लिम युवक इस्लाम को राखी बांधकर भाईचारा बनाया था। आज उसी इस्लाम ने बेटी की शादी में भात भरकर धर्म भाई होने का फर्ज निभाया।
लक्ष्मण ने बताया कि, तब से लेकर आज तक हर रक्षाबंधन पर उनकी पत्नी इस्लाम भाई को राखी बांधी है। दोनों परिवार आपस में एक दूसरे के साथ बहुत खुश रहते हैं। जैसे ही इस्लाम को पता चला कि लता के मायके से भात भरने के लिए कोई नहीं आ पा रहा।
तो वह खुद अपने परिवार के साथ भात भरने के लिए आ गया। उनके इस आग्रह को लक्ष्मण ने स्वीकार किया और रविवार को इस्लाम अपने परिवार के समय लक्ष्मण के घर भात भरने पहुंचे।
भात भरने के लिए लक्ष्मण के घर पहुंचे इस्लाम और अन्य मुस्लिम व्यक्तियों ने पूरे हिंदू रीति रिवाज के अनुसार इस रस्म को पूरा किया। सबसे पहले इस्लाम और उनके साथ आए लोगों ने लता के दरवाजे पर तिलक लगवा कर मुंह मीठा किया। इसके बाद आंगन में बैठकर भात भरने की रसम पूरी की।
भात में इस्लाम ने ₹15000, 25 पैंट शर्ट, 25 लेडीज सूट व अन्य शगुन का सारा सामान और रितु के गहने समेत अन्य शगुन का पूरा लेनदेन पूरा किया। भात के दौरान मुस्लिम इंतजामया कमेटी सदस्यों ने गोशाला व मंदिर में हिंदू रिवाज के अनुसार 100 सो रुपए दान किए।