कई बार ऐसा होता है कि कोई किराएदार या फिर पत्तेदार एक जगह पर रहते हुए उसे काफी समय हो जाता है और उस के बाद सरकार वहां से उसे खाली करने के आदेश देती है जो उनके लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है।
तो ऐसे में हरियाणा में शहरी निकाय की तर्ज पर अन्य सरकारी विभागों की जमीन मकान और दुकानों पर 20 साल से अधिक समय से काबिज किरायेदारों और पत्तेदारो को 100 वर्ग गज तक की संपत्ति पर मालिकाना हक दिया जाएगा।
1 जून 2001 से पहले बोर्ड निगमों, सरकारी कंपनियों व विभागों की भू संपत्ति को किराया पट्टे पर लेने वाले किराएदार मालिकाना हक के लिए 3 महीने में आवेदन कर सकते हैं। मालिकाना हक के लिए अलार्म को सर्किल रेट की 50 से 80% तक राशि चुकानी होगी।
आपको बता दें, हरियाणा सरकार ने “हरियाणा किराए पर सरकारी संपत्ति निपटान नीति” अधिसूचित करते हुए आवेदन मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे पहले शहरी निकाय विभाग द्वारा 1 जून 2021 को पॉलिसी लॉन्च हो चुकी है।
जिसके तहत मकान, दुकान और प्लॉटों पर 20 साल से अधिक समय से रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिया जा रहा है। शहरी निकाय नीति की सफलता के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अन्य विभागों को भी ऐसी नीति बनाने का आदेश दिया है। इसके बाद सभी विभागों के लिए वन टाइम पॉलिसी बनाई गई है।
जानकारी के अनुसार, पर्यटन, परिवहन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को की भूमि के साथ ही शामलात भूमि, पंचायत भूमि, पंचायत समिति एवं जिला पार्षदों की भूमि पर यह नीति लागू नहीं होगी।
इस नीति में वह संपत्तियां शामिल होंगे जिसका स्वामित्व या प्रबंधन किसी सरकार संस्था द्वारा किया जाता है। ऐसी संपत्तियों के मामले में जिसने सरकारी संस्थाएं वार्षिक कलेक्ट्रेट मूल्य का 8% और इससे अधिक का किराया या पट्टा प्राप्त किया है। तो सक्षम प्राधिकारी को संपत्ति को बेचने की अनुमति नहीं है।