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जानिए शूरवीर महाराणा प्रताप की जीवन गाथा, दुश्मनों को देने के लिए रखते थे 104 किलो की तलवार

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आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है। आज वीरों के वीर महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जी का जन्मदिवस है। महाराणा प्रताप भारत के महान शूरवीर सपूतों में से एक थे। जिनके शौर्य, त्याग और बलिदान की गाथा आज भी देश के चारों ओर गूंजती हैं।

इनका जन्म 9 मई 1540 को राजपूत राज परिवार में हुआ। इनके पिता उदय सिंह मेवाड़ वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े बेटे थे महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई और दो सौतेली बहने थी। शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी। अकबर को तो उन्होंने युद्ध में तीन बार बुरी तरह हराया था।

ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी तक भी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारते थे। लेकिन अकबर के सामने उन्होंने कभी हार नहीं मानी। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के  एक झटके में घोड़े सहित दो टुकड़े कर देते थे।

आज पूरे देश में भारत की आन बान शान और वीरों के वीर महाराणा प्रताप का की 416 वी वर्षगांठ मनाई जाएगी। महाराणा प्रताप जी का एक विशाल व्यक्तित्व रहा है। उनकी लंबाई 7 फुट 5 इंच थी। जो कि अकबर की लंबाई से बहुत ज्यादा थी।

उनके बलशाली शरीर का वजन 110 किलोग्राम था। युद्ध के मैदान में 104 किलो की दो तलवारों को वह अपने पास रखते थे, ताकि जब कोई नहीं आता दुश्मन मिले तो वह एक तलवार उसे दे दें क्योंकि महाराणा प्रताप ने हाथों पर वार नहीं करते थे। उनके भाले का वजन 80 किलो और कवच का वजन 72 किलो था। महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक बहुत ही ज्यादा ताकतवर था।

अकबर के पास भारी-भरकम सेना थी, लेकिन इसके बावजूद भी वह वीर महाराणा प्रताप को कभी गिरफ्तार नहीं कर पाए। ना ही मेवाड़ पर पूर्ण अधिकार जमा सके।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 1976 में हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात मुगलों ने कुंभलगढ़ गोगुंदा उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन अकबर और उनकी सेना महाराणा प्रताप का बाल भी बांका नहीं कर सकी थी।

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