कैमरी रोड स्थित एकता कॉलोनी के बॉक्सर दीपक भूरिया ने जब 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग से अपने कॅरिअर की शुरुआत की तो परिवार की हालत माली थी। कभी घर-घर जाकर अखबार बांटने वाले दीपक भोरिया ने सीनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल कर देश का नाम रोशन किया है।
सीनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर लौटे खिलाड़ी दीपक भोरिया का बहादुरगढ़ में जोरदार स्वागत किया गया। जब परिवार दीपक का खर्चा नहीं उठा पाया तो दीपक ने हार नहीं मानी और घर-घर जाकर अखबार बांटना शुरू किया। इसी के साथ जो अखबार से पैसे मिला करते थे, वह दीपक अपनी बॉक्सिंग में खर्च किया करते थे।
बाउट की समीक्षा के बाद दीपक कुमार फ्रांस के बिलाल बेनामा के खिलाफ 3-4 अंकों से हार गए। ताशकंद में चल रही विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में शुक्रवार को दीपक ने कांस्य पदक जीता। पिता सुरेंद्र कुमार का कहना है कि दीपक के चाचा रवि बॉक्सिंग खेलते थे।
हालांकि दीपक की रुचि पहले क्रिकेट में थी। दीपक ने अपने कॅरियर की शुरुआत हिसार में यूनिवर्सल बॉक्सिंग एकेडमी में कोच राजेश श्योराण के पास की थी। मगर दीपक के चाचा ने जब उसे बॉक्सिंग में करियर बनाने के लिए कहा और जब रिंग में उतरा तब उसकी रूचि धीरे-धीरे बॉक्सिंग में बढ़ती चली गई।
दीपक के कोच राजेश श्योराण का कहना है कि दीपक को 8 साल तक उनके कोच राजेश श्योराण नहीं प्रशिक्षित किया और साथ ही हिसार में बॉक्सिंग की शुरुआत उनसे ही की थी। दीपक की नौकरी के बाद चौधरी परिवार की हालत दीपक के पिता ने बताया कि दीपक की 2016 में आर्मी में नौकरी लग गई थी।
जिसके बाद परिवार की हालत सुधरी है। वहीं दूसरी तरफ दीपक की महान सुमित्रा ने बताया कि एक ऐसा वक्त था कि घर का खर्चा उठाने के लिए दूसरों के खेतों में मजदूरी करनी पड़ती थी। पर जब उनके बेटे की जॉब लगी तो उनके बेटे ने उन्हें कहीं और मजदूरी करने के लिए जाने नहीं दिया।
दीपक की मां सुमित्रा ने कहा कि यह बहुत ही गर्व की बात है कि मेरे बेटे ने देश का नाम रोशन किया है और विपरीत परिस्थितियों में भी मेरे बेटे ने कभी हार नहीं मानी और आज वह चाहता था। उसने वह कर दिखाया है।