हरियाणा की मिट्टी में कुछ बात हैं, यहां का रहने वाला नौजवान आए दिन कुछ न कुछ ऐसे कारनामे करता हैं कि, उसका नाम देश के हर व्यक्ति की ज़ुबान पर होता है। जैसे अभी हाल ही में हरियाणा के झज्जर जिले की बहू अस्मिता दौरजी शर्मा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फरहा कर देश नाम गर्व से ऊंचा किया है। उन्होंने देश के साथ अपने परिवार और अपने राज्य का भी नाम गर्व से ऊंचा किया है।
बता दें कि पर्वतारोही अस्मिता ने अपने दूसरे प्रयास में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा कर 39 साल की उम्र में अपना सपना पूरा किया हैं। अस्मिता ने बीते मंगलवार 23 मई को सबुह 8 बजकर 20 मिनट पर माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था।
उन्होंने माउंट एवरेस्ट फतेह करने के लिए 22 मई की रात को 10 बजे चढ़ाई शुरू की थीं।इसी के साथ बता दें कि अश्मिता पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल की शिष्या हैं, बछेन्द्रीपाल भारत की पहली पर्वतारोही महिला हैं।
एक तरफ अश्मिता जहां पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल की शिष्या हैं, वहीं उनके पिता अंग दौरजी पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल के शेरपा रहे हैं। अपने पिता की मौत के बाद ही अश्मिता ने माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने का सपना देखा था। इस सपने को पूरा करने के लिए अश्मिता ने साल 2001 में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया।
इस कोर्स को करनें के बाद उन्होंने 7075 मीटर ऊंची माउंट सतोपंथ, 6420 मीटर ऊंची माउंट धारामशुराख् 6120 मीटर ऊंची माउंट गंगोत्री, 6070 मीटर ऊंची माउंट स्टॉक कांगडी, 6270 मीटर ऊंची माउंट कांग येतसू,6240 मीटर ऊंची माउंट दजो जोंगो को फतह किया।
इन सभी को फतह करनें के बाद अश्मिता ने 30 सितम्बर 2022 को 8163 मीटर उंची माउंट मनासलू पर बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर के फतह किया था। वह भारत की ऐसी दूसरी पर्वतारोही महिला हैं, जिन्होंने बिना ऑक्सिजन के 8163 मीटर उंची चोटी को फतह किया है।
हालाकि की इस बार भी उन्होंने माउन्ट एवरेस्ट को बिना ऑक्सिजन की सहायता से ही फतह करने की शुरूआत की थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वज़ह से उन्हें 8000 मीटर उंचाई के बाद ही ऑक्सिजन की सहायता लेनी पड़ी थी।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अस्मिता मूलरूप से नेपाल के पर्वतारोही परिवार की बेटी हैं।साल 2021 में उनकी शादी हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले वरूण शर्मा के साथ हुई और वह झज्जर जिले की बहू बन गई। फिलहाल अश्मिता टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में सीनियर इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत है।