मैं जिंदा हूं। साबित करने में बुजुर्ग जुड़ा हुआ है l करोथा में ओमप्रकाश नामक व्यक्ति की मौत होने पर विभाग ने दोनों ओमप्रकाश की बुढ़ापा पेंशन काट दी l सरपंच ने भी इस मामले को लिखकर दिया लेकिन फिर भी पेंशन नहीं आ रही है।
इसमें सरकारी व्यवस्था की गलती बताई जा रही है, क्योंकि बिना पड़ताल किसी को मरा घोषित कर पेंशन काट दी गई। वही बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाए जा रहा है।बात यहां तक आ गई कि गांव के सरपंच से भी लिखवा लिया गया कि वह जिंदा है।

झज्जर रोड स्थित करोथा गांव के 71 वर्षीय ओमप्रकाश ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखता है। वही खेत का काम छोड़ कर उसे अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उसने बताया कि फरवरी महीने में उसी के गांव के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

जिसका नाम भी ओमप्रकाश था। उसी के चलते विभाग ने दोनों ओमप्रकाश की बुढ़ापा पेंशन बंद कर दी। वह जिला समाज कल्याण विभाग में पहुंचा और बुढ़ापा पेंशन काटने का कारण पूछा , लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। गांव के सरपंच अरविंद के पास गया तो सरपंच ने लिख कर दिया कि ओमप्रकाश पुत्र रामस्वरूप अभी जिंदा है।

ओमप्रकाश ने आगे बताया जिला समाज कल्याण विभाग में गए, जहां दोबारा से कागजात मांगे। कहा गया कि आधार कार्ड और दूसरे कागजात जमा करवाएं l सभी कागजात दे दिए लेकिन फिर भी पेंशन शुरू नहीं हुई।

ऐसा भी बताया गया कि जिंदा बुजुर्गों को मृत घोषित कर बुढ़ापा पेंशन काटने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सामाजिक कार्यकर्ता नवीन जयहिंद ने 102 साल के बुजुर्ग दादा लख्मीचंद की बारात निकाली थी। वही आरोप था कि दुलीचंद जिंदा है, लेकिन फिर भी उसकी पेंशन काट दी गई। यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया।