पान का खोखा चलाने वाले की बेटी ने एशिया कप टूर्नामेंट में भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम में बेहतरीन प्रदर्शन से कमाल कर दिखाया हैl सोनीपत के ब्रह्म नगर निवासी मंजू चौरसिया ने अपने पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया हैl
वही टीम में डिफेंडर की भूमिका निभाते हुए मंजू चौरसिया ने टीम को मजबूती दीl एशिया कप में खिताब जीतने के साथ ही लाडली के परिवार जन बेहद खुश हैंl 8 साल की लड़की को भाई ने चक दे इंडिया फिल्म दिखाइए तो मंजू चौरसिया ने भी अपने लक्ष्य को निर्धारित कर लिया अपने लक्ष्य को पूरा करने के परिवार के सदस्यों को स्वयं मैदान पर ले जाने को लेकर रो कर उठती थी इन हालातों में अपनी कामयाबी की ध्वजा लहराने का जज्बा मंजू का कभी कम नहीं हुआl
टीम की जीत पर परिजनों का कहना है कि लार्ड देना गर्व से सीना चौड़ा कर दिया है बेटी के खेलने के शौक और हॉकी के प्रति जुनून ने उससे आज अलग पहचान दिलाई हैl मंजू चौरसिया के पिता वकील भगत कहते हैं कि वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं वह साल 1986 में सोनीपत आकर रहने लगेl वह पान का खोखा चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैंl परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं हैl
मंजू के पिता ने कहा कि बेटी मंजू को बचपन से ही खेलने का बेहद शौक रहा हैl साल 2006 में जब वह पांचवी कक्षा में थीl तब पहली बार हॉकी स्टिक थामी थीl उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा हॉकी के प्रति उसका जुनून ऐसा था कि खाना तक छोड़ देती थीl इतना ही नहीं बीमारी की हालत में भी हॉकी का अभ्यास करने के लिए मैदान पर जाती थीl