करीब तीन साल पहले घर में चौथी बेटी का जन्म होने और एक पैर के सामान्य आकार में न होने पर माता-पिता ने नवजात बच्ची को सोनीपत के एक पार्क में लावारिस हाल में मरने के लिए छोड़ दिया था लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।
पंचकूला सेक्टर-15 के शिशु गृह में पल रही इस बच्ची ने जहां क्लबफुट नामक बीमारी को मात देकर चलना और दौड़ना सीख लिया तो वहीं अब दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की नागरिक बनने जा रही है।
डॉक्टरों ने जांच करने के बाद बताया कि बच्ची क्लबफुट बीमारी से पीड़ित है। उसके बाद उसके पैरों के एक साइज के जूते बनवाए गए और उसका उपचार कराया गया। अब परी बिल्कुल ठीक है। उन्होंने बताया कि गोद लेने वाले अमेरिकी दंपती में से बच्ची के नए पिता वेस्ले जॉर्ज सेलिसबरी सॉफ्टवेयर इंजीनियर और मां केल्से सबरिना सेलिसबरी शिक्षिका हैं।
अमेरिका के एक दंपती ने बुधवार को इस बच्ची को गोद ले लिया। पंचकूला सेक्टर-15 के शिशु गृह में गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अमेरिकी दंपती नन्ही परी को अमेरिका लेकर जाने की तैयारी कर रहा है।
हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता ने बताया कि बच्ची जब 10 दिन की थी तब उसे सोनीपत से पंचकूला के शिशु गृह लाया गया था। उसका दाहिना पैर सामान्य आकार में नहीं था।
विशेषज्ञों ने बताया कि क्लबफुट पैर से संबंधित एक जन्मजात विकृति है, जिसमें जन्म के समय से ही बच्चे का पैर उसके सामान्य आकार का नहीं होता है। यह या तो बाहर की ओर या अंदर की ओर मुड़ा होता है। यह नवजात शिशुओं में पाई जाने वाली सबसे आम विकृति है जो हड्डियों और जोड़ों से संबंधित होती है। इसका इलाज संभव है। अभिभावकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।