बेटियां बोझ नहीं होती, ऐसे कई स्लोगनों से सरकार लोगों को जागरूक करती रहती है, और इन्हीं कहावत तो गुस्सा किया है मुंह की रहने वाली इन बेटियों ने. हालांकि, यहां भी एक बेटे के चक्कर में बेटियां होती चली गईं, लेकिन अब ये 11 बहनें परिवार का नाम रोशन कर रही हैं. पूरे जिले में इनकी चर्चा है.
दरअसल, सालों पहले मेवात के चंदेनी निवासी रियाज खान घर में साल दर साल बेटियां जन्म ले रही थीं. लेकिन उनके मन में इच्छा थी कि एक बेटा भी हो. बेटा हुआ, लेकिन बाद में उसकी मौत हो गई. इसके बाद इन 11 बेटियों ने कामयाबी के पीछे ऐसी दौड़ लगाई कि मां रशीदा बेगम और पिता रियाज खान को बेटे के बारे में सोचने का भी समय नहीं दिया. बेटियां बड़ी होती गईं और अपनी काबिलियत को साबित करती गईं. फिर एक दिन ऐसा आया कि बेटियों ने मां-बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. आज कुछ सरकारी नौकरी करती हैं तो कुछ प्राइवेट सेक्टर में अच्छे पदों पर हैं.
नूंह को प्रदेश में पिछड़ा जिला माना जाता है, जहां किसी बड़े मुकाम तक पहुंचना इतना भी आसान नहीं है. लेकिन रियाज खान की बेटियों ने इसे आसान कर दिखाया. रियाज खान ने बेटियों को पढ़ा लिखाकर पूरे देश के लोगों को सीख दी है. नफीसा रियाज M.A तक शिक्षित हैं और टीजीटी टीचर हैं. शबनम ने भी M.A किया है और सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं. अफ़साना M.A तक पढ़ी हुई हैं और सहायक शिक्षक के पद पर सेवाएं दे रही हैं. ऐसी ही बाकी बहनें भी सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में अच्छे पदों पर हैं. सबसे छोटी बुसरा एमए तक शिक्षित है और जल्द ही किसी अच्छे पद पर कार्य करेंगी.