यह तो हम सभी जानते ही हैं कि देश के लिए जान देने की जब भी बात आती है तो सरहद पर खड़े हुए वह सिपाही हमेशा तैयार रहते हैं और उस सरहद पर हजारों युवा तैनात खड़े रहते हैं। जिससे कि हम चैन की नींद सो सके। जिसमें हर जिले से युवा वहां मौजूद हैं।
1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान देश के सैकड़ों वीर जवानों ने बलिदान दिया। जिसमें पंजाब के वीर जवानों ने शहादत देकर देश की जीत में बहुत अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे ही एक जवान की कहानी है आज हम आपको बताने वाले हैं

यह जवान पंजाब के होशियारपुर जिले के गांव रेपुर के राजेश कुमार हैं। राजेश 16 डोगरा रेजीमेंट में तैनात थे। सेना में सेवा देते हुए सिर्फ 4 साल ही हुए थे कि उन्होंने देश के लिए अपनी जान को न्योछावर कर दिया। वह पांच बहनों के बीच इकलौते भाई थे और एक मां के इकलौते बेटे थे।

इस कुर्बानी को आज 22 साल बाद याद कर मां का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। शहीद राजेश कुमार की मां महेंद्र कौर का कहना है कि राजेश उनका इकलौता बेटा था। अबकी बार राजेश घर पर छुट्टी में आया था, तब घर में खुशी का माहौल था।

राजेश की पांच बहनों ने मिलकर उसकी शादी करने के लिए रिश्ता ढूंढा था। पूरा परिवार इंतजार कर रहा था जब राजेश अगली छुट्टी पर आएगा तो उसकी शादी करेंगे। लेकिन भगवान को यह मंजूर नहीं था। कुछ दिनों बाद उसके घर खबर पहुंचती है कि उनका भाई, उनका बेटा शहीद हो गया।

राजेश की मां महिंदर कौर आज भी मानती है कि उनका बेटा जिंदा है और उनके साथ ही है आज भी वह अपने बेटे राजेश का बिस्तर रोज लगाती हैं। उसकी वर्दी और जूतों का बतौर ख्याल रखती हैं। उन्होंने राजेश के कमरे को बहुत अच्छी तरह सजाया हुआ है।

उनका कहना है कि सरकार ने जो वादे किए थे, वह सभी पूरे किए हैं।आज भी भारतीय सेना उनका ख्याल रख रही है। महेंद्र कौर ने पंजाब सरकार से अनुरोध किया है कि उनकी एक बेटी सरकारी नौकरी करती है वही उनका एकमात्र सहारा है, लेकिन उनका ट्रांसफर दूर हो गया है। लेकिन उनकी मांग है की बेटी की बदली दसूहा के आसपास की जाए, ताकि वे उनका ख्याल रख सके।