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आज भी जिंदा है अकबर, अंगद, सुल्तान और शहंशाह, रहते हैं Haryana के किस जिले में, जानें पूरी खबर

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आप कई बार ऐसी बातें सुनते होंगे जिनको सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाते होंगे। ऐसी ही एक जानकारी आज मैं आपको देने वाला हूं, जिसको सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें, अकबर, अंगद ,सुल्तान और शाहजहा आज भी जिंदा है और हरियाणा के रेवाड़ी में रहते हैं।

यह कोई और नहीं बल्कि दुनिया के सबसे पुराने स्टीम इंजन है। जो आज भी मौजूद है। एक शहर के लोको शेड में यह खड़े हैं। इन इंजनों में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी सबसे पुराना और सबसे हल्का फेयरी क्वीन शामिल है और सबसे भारी इंजन अंगद भी शामिल है।

इसके अलावा आजादी का प्रतीक बना भाप का इंजन आजाद और अकबर भी शामिल है। यह सभी हरियाणा के रेवाड़ी जिले के लोको शेड में मौजूद हैं। यह कई बॉलीवुड फिल्मों में भी भाग ले चुके हैं। जैसे गुरु, गांधी माई फादर, ग़दर एक प्रेम कथा, भाग मिल्खा भाग, सुलतान आदि फिल्मों में इनकी शूटिंग हुई है।

कुछ साल पहले सलमान खान खुद रेवाड़ी लोको शेड में सुल्तान फिल्म की शूटिंग करने के लिए आए थे। वहां 2 दिन तक उन्होंने ऐतिहासिक भाप इंजन अकबर के साथ दौड़ लगाई थी। भारतीय रेलवे ने 15 अगस्त 1940 को अमेरिका से पहली बार आजाद नामक भाप का इंजन मंगवाया था।

उसकी याद में इस साल अप्रैल में नई दिल्ली से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच आजाद को दोबारा दौड़ाया गया। अकबरनामा को पहली बार 1965 में दौड़ाया गया था।

फेयरी क्वीन को ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में लेकर आई थी। 1998 में इसे दुनिया के सबसे पुराने चालू हालात के भाप इंजन के रूप में गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड में जगह मिली है। दिल्ली और अलवर के बीच चलाई जाती थी।

इसके अलावा भाप के सबसे हल्के इंजनों में भी इसका नाम शामिल है। इसके अलावा आपको बता दें, इंजन का नाम ही काफी हद तक उसी की विशेषता बताता है।

जैसे कि आजाद अमेरिका में बने इस इंजन को रिसेट और अमेरिका ने भारत की आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को बतौर उपहार के रूप में दिया था। इसी के चलते इस इंजन का नाम आजाद रखा गया। यह भारत की आजादी का प्रतीक है।  विशुद्ध रूप से भारतीय भाप का इंजन अकबर भी किसी से कम नहीं है।

इसने कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई है। रेवाड़ी में अकबर 17 भाग रेवाड़ी में अकबर का भाप इंजन है डब्लू यूपी 728। यह काफी पुराना है। इसे 1947 में गोल्ड विन लोकोमोटिव वर्क्स ने बनाया था। बाद में 15 अगस्त 1947 को इंजन को भारतीय रेल को तोहफे में दे दिया गया। शुरुआत में शाहजहां के नाम से जाना जाता था, लेकिन देश की आजादी के दिन मिलने के कारण इसका नाम आजाद रख दिया गया।

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