हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर नकेल कस दी है। ये सभी कॉलेज अब अपनी मनमर्जी से फीस नहीं वसूल सकेंगे। दरअसल, हरियाणा में मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस कोर्स के नाम पर विद्यार्थियों से ज्यादा फीस वसूल रहे थे, जिसको देखते हुए खट्टर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और अब इन कॉलेजों की फीस फिक्स कर दी है।
यह सभी कॉलेज मनमर्जी से फीस नहीं वसूल सकेंगे यानी जितनी सरकार ने तय की है उसी अनुसार विद्यार्थियों से फीस ली जाएगी।अगर कोई कॉलेज फिर भी नियम तोड़कर ज्यादा फीस वसूलता है तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। हो सकता है कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी जाए या फिर अन्य कोई कदम उठाया जाए।
बता दें कि प्रदेश में 1835 MBBS व 950 BDS कोर्स की सीट उपलब्ध है. सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार, एमबीबीएस कोर्स के लिए दो लाख तथा बीडीएस कोर्स के लिए 50000 सिक्योरिटी फीस जमा होती है। हालांकि, NRI मेडिकल स्टूडेंट की फीस अलग- अलग होती है।
लेकिन, इन सभी नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट कॉलेजों के मालिक विद्यार्थियों से मनमर्जी की फीस वसूल रहे थे। जिसको देखते हुए खट्टर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और अब ऐसे कॉलेजों पर लगाम लगाने की जद्दोजहद की है।
हरियाणा चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने इस संबंध में एक नोटिस जारी कर कहा है कि राज्य से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को हर साल 14.25 लाख से 19.50 लाख तक की फीस देनी होगी।
इसके अलावा, बीडीएस के लिए 1.94 लाख रुपये से 4 लाख रुपये तक की सालाना फीस तय की गई है। पहले शिकायतें मिल रही थीं कि निजी कॉलेज सालाना 60 लाख रुपये वसूल रहे हैं।
हरियाणा में सिर्फ मेडिकल स्टूडेंट्स से ही नहीं बल्कि अन्य कोर्सेज में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट से भी मनमर्जी से फीस वसूली जा रही है। प्रदेश के कई कॉलेज या फिर विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो सरकार द्वारा तय की गई फीस से कई गुना ज्यादा वसूलते हैं और इन कॉलेजों पर कभी कोई बड़ी कार्रवाई भी नहीं होती। कुछ मामले सामने आते हैं। उसके बाद, उन केसेज को फाइलों में ही दबा दिया जाता है।
हरियाणा में हायर एजुकेशन के अलावा, स्कूलों में भी प्राचार्य मनमर्जी से फीस वसूल रहे हैं। प्रदेश में आए दिन ऐसे मामले आते हैं जहां पर अभिभावकों से स्कूल सरकार द्वारा तय राशि से अधिक फीस वसूलते हैं।कुछ स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों का सरकारी योजनाओं के तहत दाखिला करवाते हैं लेकिन, स्कूल वाले मनमर्जी से उन बच्चों को स्कूल से बेदखल कर देते हैं।