देश में लगातार कम होते जलस्तर के कारण कई क्षेत्र या राज्य इन दिनों पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं। खेती का पारंपरिक तरीका भी इस समस्या को और भी अधिक बढ़ा रहा है।क्षेत्रों में पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए किसान भी अब खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर के आधुनिक खेती में हाथ आजमाने लगे हैं।
इनमें से ही ड्रिप प्रणाली भी आधुनिक खेती में शामिल है. इस प्रणाली में न सिर्फ पानी की बचत होती है जबकि पैदावार में भी काफी हद तक इजाफा मिलता है। इस तकनीक को किसान भारी मात्रा में अपना रहे हैं। अगर आप भी कृषि में अधिक लाभ कमाना चाहते हैं तो इस तकनीक को आसानी से अपना सकते हैं।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली खेती की आधुनिक प्रणाली में शामिल है. जिसे बूंद बूंद सिंचाई या टपक सिंचाई भी कहा जाता है। इसमें पानी की अत्यधिक बचत हो जाती है और पौधों की जड़ों तक बूंद बूंद करके पानी को पहुंचाया जा सकता है। इसके कारण पानी की बचत भी होती है और पौधों को भी समय- समय पर भरपूर मात्रा में पानी मिलता रहता है।
इससे उनकी जड़ों में नमी बनी रहती है. ड्रिप सिंचाई प्रणाली बाल्व, पाइप, ट्यूबिंग और एमिटर के माध्यम से पानी का छिड़काव फसल पर करती है।इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी अच्छी तरह डिजाइन स्थापित किया जा रहा है।
इस प्रणाली के अंतर्गत, कम पानी में ज्यादा फसल उगाई जा सकती है. ड्रिप प्रणाली की मदद से फरीदाबाद के किसान बिजली, पानी और समय तीनों की लगातार बचत कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जहां आधुनिक खेती में 1 एकड़ के खेत को पानी देने के लिए 4 से 5 घंटे का समय लगता है।
कृषि अधिकारियों ने बताया कि सरकार इस प्रणाली पर सब्सिडी भी दे रही है, यानी किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए सरकार सब्सिडी देकर प्रोत्साहित कर रही है। हरियाणा में सरकार खेती में ड्रिप प्रणाली का इस्तेमाल करने वालों किसानों को सब्सिडी के तौर पर ₹25,000 प्रति एकड़ के हिसाब से दे रही है।
इतना ही नहीं, सरकार की ओर से समय-समय पर खेती के आधुनिक तकनीकों को किसानों को बताने के लिए कृषि विभाग की ओर से वर्कशॉप भी आयोजित की जाती है।इस वर्कशॉप में कोई भी किसान हिस्सा ले सकता है और ऐसी तकनीकों के बारे में जान सकता है।